आंतरिक और शारीरिक सौंदर्य पाने के लिए करें योग
सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन ने कहा कि योग से नाड़ी तंत्र को स्थिर रखने में मदद मिलती है. इससे तनाव को कम करने तथा मानसिक संतुलन में भी लाभ मिलता है. योग प्राचीन भारतीय विद्या है तथा इसके निरन्तर अभ्यास से संयमित व्यक्तित्व तथा वृद्वावस्था की भाव मुद्राओं को रोकने में मदद मिलती है.
नई दिल्ली: अच्छा स्वास्थ्य और सौंदर्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. सुंदर त्वचा, चमकीले बाल तथा छरहरे बदन के लिए अच्छी सेहत का होना परम आवश्यक है. योग सौंदर्य के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि आंतरिक सौंदर्य से ही सही शारीरिक सौंदर्य की प्राप्ति की जा सकती है. योग से मानसिक तथा शारीरिक दोनों को प्रचुर लाभ मिलता है. इससे न केवल सभी मांसपेशियों को फायदा होता है, बल्कि इससे प्राणशक्ति बढ़ती है तथा आंतरिक अंगों की रंगत में निखार आता है.
सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन ने कहा कि योग से नाड़ी तंत्र को स्थिर रखने में मदद मिलती है. इससे तनाव को कम करने तथा मानसिक संतुलन में भी लाभ मिलता है. योग प्राचीन भारतीय विद्या है तथा इसके निरन्तर अभ्यास से संयमित व्यक्तित्व तथा वृद्वावस्था की भाव मुद्राओं को रोकने में मदद मिलती है.
उन्होंने कहा कि योग का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इससे सांसों पर नियंत्रण रहता है तथा योगाभ्यास के दौरान सांस खींचने तथा सांस बाहर निकलाने की उचित विधि से श्वास को संयमित करने में मदद मिलती है जिससे शरीर में आक्सीजन को नियंत्रित करने में सहायक सिद्ध होती है. योग से शारीरिक तथा मानसिक उल्लास की असीम अनुभूति प्राप्त होती है.
हर्बल क्वीन शहनाज ने कहा, "जब हम सौंदर्य की बात करते हैं तो हम केवल बाहरी चेहरे की सौंदर्य की ही बात नहीं करते, बल्कि इसमें आंतरिक सूरत भी शामिल होती है जिसमें लचकपन, हाव-भाव तथा शारीरिक आकर्षण होना नितांत आवश्यक होता है."
उन्होंने कहा कि योग से शरीर के हर टिशू को आक्सीजन प्राप्त होती है जिसे शरीर में सौंदर्य तथा स्वास्थ्य प्राप्त होता है. यदि आप ऐसी जीवनशैली गुजार रहे हैं जिसमें शारीरिक गतिविधि नगण्य है तो आप वास्तव में बुढ़ापे को नियंत्रण दे रहे हैं. ऐसे में योग तथा शारीरिक श्रम से शरीर सुव्यवस्थित तथा तंदुरुस्त रखने में मदद मिलती है.
उन्होंने कहा कि हर कोई अपने शरीर को स्वस्थ्य रखना चाहता है. भारतीय परंपरा हमेशा से ही जीवन को समग्र और संतुलित रूप से जीने की दृष्टि देती रही है. भारतीय चिंतन और परंपरा का आधार रहा है योग-शास्त्र. योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, वरन यह जीवन को संतुलित रूप से जीने का शास्त्र है. यह निरंतर बढ़ती हुई भाग-दौड़ में व्यक्तित्व को एक ठहराव, एक गहराई देने की विद्या है. ऐसे में आज न केवल भारत बल्कि विश्व के दूसरे देश भी योग को जीवन शैली में सुधार लाने का एक प्रमुख उपाय मान रहे हैं.
जीवन की भाग-दौड़ वाली जिंदगी से परेशान होकर हर कोई जिंदगी को आसान बनाना चाहता है. ऐसी स्थिति में क्या हम अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए थोड़ा समय योग को नहीं दे सकते? योग एक ऐसी विधा है जिससे हम अपने मन को स्थिर कर सकते हैं. जब तक मन शुद्ध या स्थिर नहीं होता, हमारा तन भी अशुद्ध रहता है. योगाभ्यास द्वारा ही तन व मन की शुद्धि होती है और हमारा तन-मन निरोगी हो जाता है. योगाभ्यास से मन को स्वस्थ्य और शांत बनाया जा सकता है.
सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन ने कहा कि योग एक ऐसी विधा है जिससे हम अपने मन को स्थिर कर सकते हैं. जब तक मन शुद्ध या स्थिर नहीं होता तब तक हमारा तन भी अशुद्ध रहता है. योगाभ्यास द्वारा ही तन व मन की शुद्धि होती है और हमारा तन-मन निरोगी हो जाता है। योगाभ्यास से मन को स्वस्थ्य और शांत बनाया जा सकता है.योगाभ्यास क्रोध पर नियंत्रण रखने में अहम भूमिका निभाता है.