7th Pay Commission: यहां सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में हुआ बंपर इजाफा, पेंशनर्स को भी मिला तोहफा

सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों के अनुसार वेतन पाने वाले गुजरात (Gujarat) के सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात मिली है. राज्य सरकार ने 1 जुलाई से राज्य सरकार के कर्मचारियों के साथ ही पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है.

रुपया (Photo Credits: PTI)

7TH CPC Latest News: सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों के अनुसार वेतन पाने वाले गुजरात (Gujarat) के सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात मिली है. राज्य सरकार ने 1 जुलाई से राज्य सरकार के कर्मचारियों के साथ ही पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है. इसके बाद अब राज्य सरकार के कमचारियों और पेंशनभोगियों का डीए (Dearness Allowance), डीआर (Dearness Relief) उनके मूल वेतन के मौजूदा 17 प्रतिशत की दर से बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया है. 7th Pay Commission: पेंशनभोगियों के लिए जरुरी खबर, इस मांग पर मोदी सरकार कब लगाएगी मुहर?

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के अनुसार, गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल (Nitin Patel) ने कहा “गुजरात सरकार द्वारा अनुमोदित नई डीए दर केंद्र सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को प्रदान की जा रही दर के बराबर है. केंद्र ने जुलाई में अपने कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते को 17 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी कर दिया था. चूंकि हम आम तौर पर केंद्रीय डीए दरों का पालन करते हैं, और तदनुसार संशोधन करते हैं, इसलिए दर को 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है.”

उन्होंने कहा कि इस कदम से राज्य सरकार के तहत कार्यरत 9.61 लाख लोगों के साथ-साथ 7वें वेतन आयोग के तहत आने वाले 4.5 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा. नया डीए और डीआर सितंबर महीने के वेतन और पेंशन में शामिल होगा. जबकि जुलाई का बकाया अक्टूबर में और अगस्त का बकाया (Arrears) अगले साल जनवरी में दिया जाएगा.

वहीं, सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुरूप सरकारी कर्मचारियों का मकान किराया भत्ता (HRA) भी बढ़ना तय माना जा रहा है, हालांकि इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से कुछ नहीं कहा गया है. राज्य सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का डीए और डीआर बढ़ने से राजकोष पर हर साल 378 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.

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