चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश में नही की घुसपैठ, इंडियन आर्मी ने बताई ये सच्चाई

भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश में किसी भी प्रकार से चीनी घुसपैठ होने से इनकार किया है. दरअसल कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि चीन के सैनिकों ने राज्य के चगलगाम में एक नदी के ऊपर घुसपैठ के बाद पुल बनाया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Twitter)

नई दिल्ली: भारतीय सेना (Indian Army) ने अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में किसी भी प्रकार से चीनी घुसपैठ होने से इनकार किया है. दरअसल कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि चीन के सैनिकों ने राज्य के चगलगाम में एक नदी के ऊपर घुसपैठ के बाद पुल बनाया है. हालांकि यह खबर अरुणाचल से बीजेपी के लोकसभा सदस्य तापिर गाओ (Tapir Gao) के हवाले से दिखाई जा रही थी.

भारतीय सेना के प्रवक्ता ने अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ के आरोपों को नकारते हुए कहा कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. सेना ने कहा कि अलग-अलग दावों का एक क्षेत्र होने के नाते, दोनों ओर से नियमित रूप से सैनिक क्षेत्र में गश्त करते हैं. इसके अलावा, गर्मी के महीनों के दौरान नागरिक शिकारी और जड़ी बूटी संग्रहकर्ता भी अक्सर यहां आते हैं. क्षेत्र में चीनी सैनिकों या नागरिकों की कोई स्थायी उपस्थिति नहीं है.

बीजेपी के लोकसभा सदस्य तापिर गाओ ने बुधवार को दावा किया कि चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश के सुदूरवर्ती अन्जॉ जिले में घुसपैठ की है और वहां एक जलधारा पर पुल का निर्माण किया है. गाओ ने दावा किया कि चीनी सैनिकों ने पिछले महीने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी और चगलागम क्षेत्र में कियोमरु नाले पर पुल बनाया था. कुछ स्थानीय युवकों ने मंगलवार को पुल देखा था.

गाओ ने कहा, ‘‘यह इलाका चगलागम से करीब 25 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व में है और भारतीय क्षेत्र में ही आता है.’’ उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकना जरूरी है.

उन्होंने आगे कहा, ‘‘राज्य के प्रतिनिधि के तौर पर मैंने केंद्र सरकार से अरुणाचल प्रदेश में चीन-भारत सीमा पर उसी तरह बुनियादी संरचना के निर्माण के लिए अनुरोध किया है जिस तरह अन्जॉ के जिला मुख्यालय हायुलियांग से चगलागम तक सड़क बनाई गयी है.’’

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गौरतलब हो कि भारत और चीन करीब 4000 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं जिसका स्पष्ट निर्धारण नहीं है. इस वजह से क्षेत्र में घुसपैठ के मामले सामने आते हैं. चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिण तिब्बत का हिस्सा है. चीन ने 1950 में तिब्बत पर कब्जा किया था. तब से अभी तक तिब्बत में चीन ही जबरदस्ती शासन चला रहा है.

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