India To Be Most Populous Country: जनसंख्या के मामले में इस साल चीन को पीछे छोड़ देगा भारत- UN रिपोर्ट

दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन (China) को अब भारत पीछे छोड़ने वाला है. भारत (India) जनसंख्या में मामले में चीन को पछाड़कर पहले नंबर पर आने की राह पर है.

Population (Photo: Pixabay)

India to Overtake China: दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन (China) को अब भारत पीछे छोड़ने वाला है. भारत (India) जनसंख्या में मामले में चीन को पछाड़कर पहले नंबर पर आने की राह पर है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत इस साल के मध्य में लगभग 3 मिलियन से अधिक जनसंख्या के साथ चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने की राह पर है. गरीबी हटाने की कोशिश करते वर्ल्ड बैंक के अपने यहां कर्मचारियों की हालत खस्ता.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के "स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट, 2023" के डेटा का अनुमान है कि चीन की 1.4257 बिलियन की तुलना में भारत की जनसंख्या 1,428.6 मिलियन या 1.4286 बिलियन है. जनसंख्या विशेषज्ञों ने संयुक्त राष्ट्र के पिछले आंकड़ों के हिसाब से अनुमान लगाया है कि भारत इस जल्द ही चीन को पीछे छोड़ देगा.

UN की रिपोर्ट में खुलासा

संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या अधिकारियों ने कहा है कि भारत और चीन से आने वाले आंकड़ों के बारे में "अनिश्चितता" के कारण एक तारीख निर्दिष्ट करना असंभव था. क्यों कि भारत की आखिरी जनगणना 2011 में आयोजित की गई थी और 2021 में होने वाली अगली जनगणना में महामारी के कारण देरी हुई है.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत और चीन 8.045 बिलियन की अनुमानित वैश्विक जनसंख्या के एक-तिहाई से अधिक के लिए जिम्मेदार होंगे, लेकिन दोनों एशियाई दिग्गजों में जनसंख्या वृद्धि भारत की तुलना में चीन में तेज गति से धीमी रही है. पिछले साल, छह दशकों में पहली बार चीन की आबादी में कमी आई.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि 2011 के बाद से औसतन 1.2 फीसदी रही है, जबकि पिछले 10 वर्षों में यह 1.7 फीसदी थी. यूएनएफपीए इंडिया के प्रतिनिधि एंड्रिया वोजनार ने एक बयान में कहा, "भारतीय सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि जनसंख्या की चिंता बड़े हिस्से में फैल गई है फिर भी, जनसंख्या संख्या को चिंता का कारण नहीं बनना चाहिए या अलार्म नहीं बनाना चाहिए. इसके बजाय, उन्हें प्रगति, विकास और आकांक्षाओं के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए.

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