अमेरिकी सीमा सुरक्षा विभाग के ताजा आंकड़े दिखाते हैं कि सीमा पार करते हुए पकड़े जाने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है.अमेरिका के कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (सीबीपी) विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अक्तूबर 2023 से अगस्त 2024 के बीच 86,400 से अधिक भारतीय नागरिकों को अमेरिका की मेक्सिको से लगती दक्षिण-पश्चिम सीमा पर अवैध रूप से प्रवेश करने की कोशिश करते हुए रोका गया. इसी अवधि में 88,800 से अधिक भारतीय नागरिकों को उत्तरी सीमा पर भी रोका गया.
हालांकि, दोनों सीमाओं पर भारतीय नागरिकों की संख्या लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों से आने वाले प्रवासियों की तुलना में कम है, लेकिन भारतीय नागरिक अब सीबीपी द्वारा रोके जाने वाले लोगों के दोनों अमेरिका महाद्वीपों के बाहर का सबसे बड़ा समूह बन गए हैं. भारत के बाद बाहर से आने वाला दूसरा सबसे बड़ा समूह चीन से है, जहां के लगभग 74 हजार लोगों को दोनों सीमाओं पर रोका गया. अमेरिकी सीमा पर रोके गए कुल लोगों की संख्या 27,56,646 है.
आंकड़े दिखाते हैं कि 2021 के बाद से अमेरिकी सीमाओं पर भारतीय नागरिकों को रोके जाने के मामलों में बड़ी वृद्धि हुई है. वित्त वर्ष 2020-21 में अमेरिकी सीमाओं को पार करते हुए पकड़े गए भारतीय नागरिकों की संख्या 30 हजार से ज्यादा थी जो 2022-23 में बढ़कर 96,917 हो गई.
कौन हैं पकड़े गए भारतीय
सीमा पार करने की कोशिश करते पकड़े गए भारतीय नागरिकों में सबसे ज्यादा अकेले वयस्क रहे हैं. 2021 में 3,161 लोगों की तुलना में 2022 में यह संख्या बढ़कर 7,241 हो गई और 2023 में 8,706 पर पहुंच गई. वित्तीय वर्ष 2024 (अगस्त तक) में यह संख्या 2,749 रही.
परिवार के रूप में सीमा पार करने वाले भारतीयों की संख्या 2021 में 6,489 मामलों के बाद 2023 में यह संख्या 9,652 के उच्चतम स्तर पर पहुंची और 2024 में अब तक 6,527 रही. कई मामलों में बिना किसी वयस्क के, अकेले यात्रा कर रहे बच्चों को भी पकड़ा गया. 2021 में इनकी संख्या 5,568 थी, जो 2023 में बढ़कर 7,440 हो गई. 2024 में अब तक यह घटकर 2,337 पर आ गई है.
वयस्कों के साथ आए नाबालिगों की संख्या में गिरावट देखी गई है, जो 2022 में 6,976 से घटकर 2024 में 3,256 हो गई.
अमेरिकी सीमाओं को पार करने की कोशिश करते भारतीयों के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाले निस्कानन संस्थान के गिल गुएरा और स्नेहा पुरी के अनुसार, प्रवासन के इस पैटर्न के पीछे कई कारण हैं, जिनमें बेहतर रोजगार की तलाश, भारत में आर्थिक अस्थिरता और बेरोजगारी, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में और कृषि कानूनों से प्रभावित लोगों की परिस्थितियां शामिल हैं. वह सिख समुदाय के कुछ सदस्यों के बीच भारत में बढ़ती सांप्रदायिकता का डर भी एक बड़ा कारक बताते हैं.
वे अपने विश्लेषण में लिखते हैं, "अधिकांश का संबंध पंजाब राज्य से है, जहां सिख समुदाय की बड़ी आबादी है. राजनीतिक रूप से, पंजाब में खालिस्तान नामक सिख अलगाववादी आंदोलन के कारण तनाव बढ़ा है. हालांकि, इस आंदोलन को व्यापक समर्थन नहीं मिला है, लेकिन कुछ सिख प्रवासियों का कहना है कि उन्हें डर है कि भारत में बढ़ते सांप्रदायिक माहौल के कारण उन्हें अधिकारियों या राजनेताओं द्वारा अनुचित तरीके से निशाना बनाया जा सकता है. दूसरी ओर, कुछ लोगों के लिए यह तनाव उत्पीड़न के दावों को विश्वसनीय आधार प्रदान करता है, जो उन्हें शरण लेने का आधार देता है. उनके लिए यह अमेरिका तक पहुंचने का एकमात्र संभावित रास्ता हो सकता है.”
2012 के बाद से, अमेरिकी इमिग्रेशन कोर्ट में नए मामलों में भारतीय प्रवासियों द्वारा बोली जाने वाली सबसे बड़ी तीन भाषाएं पंजाबी (79,656), हिंदी (39,616), और गुजराती (18,639) रही हैं. गुएरा और पुरी लिखते हैं कि यह इस बात की पुष्टि है कि कई प्रवासी पंजाब और हरियाणा जैसे उत्तरी राज्यों से हैं. हालांकि धार्मिक आधार पर प्रवासियों के आंकड़े आसानी से उपलब्ध नहीं है, लेकिन संभावना है कि पंजाबी बोलने वालों में से अधिकांश सिख समुदाय से हैं.
भारत से अमेरिका की यात्रा को "डंकी रूट" कहा जाता है. यह अवैध मार्ग तस्करी नेटवर्क द्वारा संचालित होता है, और वीजा के लिए कानूनी प्रक्रिया का विकल्प माना जाता है.
मेक्सिको की जगह कनाडा से प्रवेश
अक्टूबर 2023 से अगस्त 2024 के बीच उत्तरी सीमा पर कुल मामलों की संख्या (181,814) दक्षिण-पश्चिम सीमा (2,033,260) से कम रही, लेकिन कनाडा से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश करने वाला सबसे बड़ा समूह भारतीय नागरिक थे (39,278), इसके बाद कनाडा (32,435), चीन (11,441) और फिलीपींस (8,179) के नागरिक शामिल थे. सबसे बड़ा समूह ‘अन्य' श्रेणी में था, जिसमें 69,727 लोग गिने गए.
कनाडा भारतीय प्रवासियों के लिए अमेरिका जाने के रास्ते के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. कनाडा के टूरिस्ट वीजा के लिए औसतन 76 दिन का इंतजार करना पड़ता है, जबकि भारत में अमेरिकी विजिटर वीजा के लिए अपॉइंटमेंट का इंतजार लगभग एक साल तक हो सकता है.
इसके अलावा, अमेरिका-कनाडा सीमा लंबी और कम संरक्षित है, जबकि अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर सुरक्षा कड़ी रहती है. हालांकि, यह सीमा पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, लेकिन दक्षिण और मध्य अमेरिका के रास्ते की तुलना में यहां आपराधिक समूहों की उतनी सक्रियता नहीं है.
जहां दक्षिणी सीमा को प्रवासियों के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक स्थल माना जाता है, उत्तरी सीमा भी खतरों से मुक्त नहीं है. अप्रैल 2023 में एक भारतीय परिवार और एक रोमानियाई परिवार की मौत कनाडा से अमेरिका में प्रवेश की कोशिश के दौरान हो गई थी. इससे एक साल पहले, एक और भारतीय परिवार की ठंड से मौत हो गई थी, जिनके बारे में माना जाता है कि वे भी अमेरिका पहुंचने की कोशिश कर रहे थे.
गुएरा और पुरी का विश्लेषण कहता है कि भारत से आने वाले अवैध प्रवासी अभी अमेरिका या भारत की सरकारों के लिए ज्यादा बड़ी चिंता नहीं हैं. वे लिखते हैं, "अमेरिका के लिए ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि तुलनात्मक रूप से संख्या बहुत बड़ी नहीं है. इसके अलावा पड़ोसी सहयोगी भी इन प्रवासियों को रोकने के लिए उपाय कर रहे हैं.”
जैसे कि अल सल्वाडोर ने भारतीय नागरिकों के लिए वीजा फ्री यात्रा बंद कर दी है और ट्रांजिट फीस में भी वृद्धि की है. पनामा ने हाल ही में सैकड़ों भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट किया था, जो अमेरिका जाने की कोशिश में थे. ब्राजील ने भी भारतीय यात्रियों के नियमों में सख्ती की है.