आईएमए ने संक्रमित मरीज के संपर्क में आये स्वास्थ्यकर्मियों की जांच न करने के एम्स के कदम की निंदा की

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने वाले स्वास्थ्यकर्मियों से जुड़े लोगों की जांच नहीं करने और बिना लक्षण वाले मरीजों को पृथक-वास में रहने से रोकने के एम्स के फैसले की मंगलवार को आलोचना की और कहा कि ये संक्रमित लोग उपचार के दौरान और कई लोगों को संक्रमित कर सकते हैं.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Photo Credits: Wikipedia)

नयी दिल्ली, 27 अप्रैल : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने वाले स्वास्थ्यकर्मियों से जुड़े लोगों की जांच नहीं करने और बिना लक्षण वाले मरीजों को पृथक-वास में रहने से रोकने के एम्स के फैसले की मंगलवार को आलोचना की और कहा कि ये संक्रमित लोग उपचार के दौरान और कई लोगों को संक्रमित कर सकते हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ( Union Health Secretary) को लिखे पत्र में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए)ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मी में संक्रमण के लक्षण दिखने पर उनकी जांच होगी और सिर्फ 10 दिन के पृथक-वास की अनुमति का आदेश नागरिक न्यूनतम देखभाल और सहयोग पाने के स्वास्थ्यकर्मियों के मूलभूत अधिकार का पूरी तरह से हनन है. इस आदेश को वापस लिया जाये.

आईएमए ने कहा कि स्वास्थ्य, परिवार एवं कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों में संक्रमण के लक्षण दिखने के बाद पृथक-वास और आराम के लिए न्यूनतम 17 दिन तय किया गया है. नयी दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने कोविड-19 की मौजूदा स्थिति में संसाधनों और कर्मचारियों की कमी का हवाला देते हुए संक्रमित मरीजों के सीधे संपर्क में आने वाले स्वास्थ्यकर्मियों से जुड़े लोगों की जांच नहीं करने और बिना लक्षण वाले स्वास्थ्यकर्मियों को सिर्फ 10 दिन पृथक-वास में रहने से संबंधित एक आदेश हाल में जारी किया है. यह भी पढ़ें : मुंबई में 18 साल से ऊपर के लोगों का कोरोना वैक्सीनेशन शुरू होने से पहले मेयर किशोरी पेडनेकर ने कही यह बड़ी बात

डॉक्टरों की संस्था ने कहा, ‘‘अगर कोई स्वास्थ्यकर्मी कोविड-19 से संक्रमित मरीज के संपर्क में आता है और उसमें कोविड-19 के लक्षण नहीं दिखते हैं तो वह भी वायरस का वाहक हो सकता है और कई गंभीर रूप से बीमार मरीजों को संक्रमित कर सकता है. कर्मचारियों की कमी का हवाला देकर उनकी बीमारी की जांच नहीं करना पूरी चिकित्सा बिरादरी के लिए खतरनाक है.’’

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