अगर इस बीमारी को किया नजरअंदाज तो हो सकता है लिवर का कैंसर
हेपेटाइटिस-सी को नजरअंदाज करने से हो सकता है लीवर कैंसर (photo credit-ANI)

नई दिल्ली : देश में 35 लाख लोगों को नहीं पता कि उनमें हेपेटाइटिस-सी के कीटाणु हैं. सीडीसी (रोग नियंत्रण अैर रोकथाम केंद्र) के एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है. हेपेटाइटिस लिवर की बीमारियों का एक प्रमुख कारण है और अगर इसका इलाज समय पर नहीं करवाया जाए तो यह बीमारी लिवर कैंसर का रूप ले सकती है. पोषण विशेषज्ञ अवनी कौल इस बारे में कहा, "विज्ञान ने पिछले कुछ वर्षो में बहुत तरक्की कर ली है जिसकी वजह से हेपेटाइटिस सी का इलाज संभव है. जब बीमारी आठ से बारह सप्ताह से चल रही हो तब भी उसका 90 प्रतिशत लोगों में उसका उपचार संभव है. इस बीमारी के बारे में कई भ्रांतियां हैं, जिसके कारण कभी कभी इसका इलाज शुरू नहीं हो पाता. ऐसा माना जाता है कि हेपेटाइटिस के कारण जॉन्डिस होता है. सत्य यह है कि जॉन्डिस या पीलिया केवल एक लक्षण है."

उन्होंने कहा, "ऐसा माना जाता है कि हेपेटाइटिस एवं जॉन्डिस गंदे पीने के पानी के द्वारा फैलता है. यह सच नहीं है, क्योंकि ये बीमारी खून के द्वारा कीटाणु जब जिगर में पहुंचते हैं, तब होती है. इस बीमारी का नियंत्रण समय पर टीका लगने से हो सकता है. जॉन्डिस हो जाने के बाद केवल उबला हुआ और कम मसाले वाला हल्का भोजन पीड़ित को दिया जाता था, लेकिन अब यह भ्रांति भी विज्ञान के द्वारा गलत साबित हो गई है. रोगी को निरोगी होने के लिए अच्छा पौष्टिक भोजन जिसमें अधिक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा देना चाहिये. ऐसा न करने पर रोगी व्यक्ति को स्वस्थ्य होने में बहुत समय लगेगा."

अवनी ने कहा, "कुछ लोगों के अनुसार शराब पीने से हेपेटाइटिस-सी होता है. यह सत्य है कि शराब इस बीमारी के लक्षण बढ़ाता है लेकिन यह इसका मुख्य कारण नहीं है. हेपेटाइटिस ग्रसित महिलाओं को अपने बच्चों को स्तनपान कराने से मना भी किया जाता है ताकि बच्चों में इस बीमारी के कीटाणु ना पहुंचे, परंतु वैज्ञानिकों द्वारा यह तथ्य सत्य नहीं पाया गया."

उन्होंने कहा, "यह धारणा है कि खाने में हल्दी एवं नींबू का पानी भी जॉन्डिस या पीलिया का कारण बन सका है, बिल्कुल गलत पाई गई. असल में हल्दी जिगर और अन्य अंगों को साफ रखती है और नींबू इनको शक्ति प्रदान करता है. ऐलोपैथी में हेपेटाइटिस का कोई इलाज नहीं है. यह भ्रांति भी कभी कभी सुनने में आती है. ऐसा बिल्कुल सत्य नहीं है. बीमारी पकड़ में आने के बाद इसका बहुत अच्छा इलाज एैलोपैथी कर सकती है. इधर, उधर लोगों की सलाह पर इलाज करना ठीक नहीं रहता."

पोषण विशेषज्ञ अवनी कौल ने कहा कि बीमारी चाहे हेपेटाइटिस हो या कोई और इलाज हमेशा योग्य व्यक्ति से ही करवाना चाहिए, ताकि बीमारी पर नियंत्रण अच्छी हो और स्वास्थ्य लाभ भी रहे.