मैनपुरी (उप्र), 27 अप्रैल: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने और अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच बढ़ती कथित अनबन की खबरों के बीच बुधवार को पूछा कि अगर भाजपा उन्हें लेना चाहती है, इसमें देरी क्यों कर रही है. उन्होंने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कथित रूप से भाजपा को वोट हस्तांतरित करने के लिए बसपा सुप्रीमो पर हमला करते हुए कहा कि अब यह देखना होगा कि भाजपा उन्हें 'राष्ट्रपति' बनाती है या नहीं? UP: शिवपाल-आजम छोड़ेंगे अखिलेश यादव का साथ? सपा अध्यक्ष की बेरूखी का कारण कहीं ये तो नहीं.
सपा प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा जेल में बंद विधायक आजम खान के साथ है और आश्चर्य है कि जो अब खुद को जेल में बंद विधायक के हितैषी के रूप में दिखा रहे हैं, वे लोग उस समय कहां थे? जब भाजपा और कांग्रेस उनके खिलाफ राजनीति से प्रेरित मामले दर्ज कर रहे थें.
अखिलेश ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "अच्छा है, उन्हें उन्हें जल्द ले जाना चाहिए. अगर भाजपा चाचा को लेना चाहती है, तो देर क्यों कर रही हैं? आप खुद सोचें, भाजपा के लोग देरी क्यों कर रहे हैं..आपको सोचना चाहिए कि इसके पीछे क्या कारण हो सकता है."
पत्रकारों ने उनसे चाचा शिवपाल की नाराजगी की खबरों के बारे में पूछा था. अपने चाचा से नाराजगी का कारण पूछे जाने पर अखिलेश ने कहा, ‘‘मेरी कोई नाराजगी नहीं है, लेकिन भाजपा को बताना चाहिए कि वह खुश क्यों है?’’
बसपा के बारे में पूछे जाने पर अखिलेश ने कहा, ''बसपा ने उत्तर प्रदेश चुनाव में अपना वोट भाजपा को हस्तांतरित कर दिया. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा मायावती को राष्ट्रपति बनाती है या नहीं.''
पार्टी विधायक आजम खान से जेल में नेताओं की मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर अखिलेश ने कहा, ''सपा पहले दिन से उनके साथ है,आज सवाल पूछने वालों को बताना चाहिए कि जब भाजपा और कांग्रेस उनके खिलाफ मामले दर्ज कर रही थीं तो वे कहां थे?''
शिवपाल, जिन्होंने सपा के साइकिल चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ा था, इस मामले पर खुद को थोड़ा अलग थलग महसूस किया और वह मुख्य विपक्षी दल सपा से दूर होते गये और भाजपा से उनकी नजदीकियां बढ़ती दिखाई दे रही हैं .
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने और बाद में ट्विटर पर उन्हें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फॉलो करने के बाद भाजपा में उनके जाने की अटकलें तेज हो गईं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक फरवरी-मार्च विधानसभा चुनावों में बसपा के वोट भाजपा को हस्तांतरित हो गये .
चुनावों पर उत्तर प्रदेश भाजपा द्वारा केंद्रीय पार्टी नेतृत्व को भेजी गई एक रिपोर्ट में बसपा के वोट भाजपा को स्थानांतरित होने पर भी प्रकाश डाला गया, जिससे उसे बढ़िया अंतर से चुनाव जीतने में मदद मिली.
चुनाव के दौरान भी, अखिलेश ने मायावती को एक उच्च संवैधानिक पद पर नियुक्त करने के सौदे के तहत भाजपा और बसपा के बीच "गठबंधन" की ओर इशारा किया था. आजकल आजम खान का मुद्दा अखिलेश को परेशान कर रहा है.
सीतापुर जेल में सपा अध्यक्ष अखिलेश से हाल में मुलाकात नहीं करने पर आजम खान के प्रवक्ता ने विरोध जताया था, बाद में शिवपाल यादव और कांग्रेस नेता और आध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रमोद कृष्णम ने आजम से मुलाकात की थी और उनके लिए समर्थन व्यक्त किया था. हालांकि, सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा, जिन्होंने खुद को अखिलेश का दूत होने का दावा किया था, उनसे आजम खान ने मिलने से इंकार कर दिया था.
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