अमित शाह ने कांग्रेस पर साधा निशाना, कहा- PoK के अस्तित्व में आने के लिये जवाहरलाल नेहरु जिम्मेदार
अमित शाहने रविवार को कहा कि यदि जवाहरलाल नेहरु ने बेवक्त पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम की घोषणा नहीं की होती, तो ‘‘पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर’’(Pok) अस्तित्व में नहीं आता.
मुंबई: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने रविवार को कहा कि यदि जवाहरलाल नेहरु (jawaharlal Nehru) ने बेवक्त पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम की घोषणा नहीं की होती, तो ‘‘पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर’’(Pok) अस्तित्व में नहीं आता।शाह ने कश्मीर का भारत में ‘एकीकरण नहीं करने’ को लेकर (प्रथम प्रधानमंत्री) नेहरू पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मुद्दे से, तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू के बजाय देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को निपटना चाहिए था।उन्होंने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने के केंद्र के पांच अगस्त के फैसले पर और अगले महीने होने जा रहे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिये यहां एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं से कहना चाहता हूं कि अनुच्छेद 370 (के ज्यादातर प्रावधान) समाप्त करने भर से हमारा काम समाप्त नहीं हो जाता. हमारा काम तो अब शुरू होता है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य इस देश को राष्ट्रवाद और प्रगति के रास्ते पर आगे ले जाना है.’’उन्होंने कांग्रेस और राकांपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘वे अनुच्छेद 370 के (ज्यादातर प्रावधानों को) समाप्त करने का ‘‘निर्लज्जता से’’ विरोध कर रहे हैं. भाजपा अध्यक्ष ने भरोसा जताया कि 21 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे प्रसन्नता है कि राज्य विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार की शुरूआत अनुच्छेद 370 और 35 ए समाप्त करने के हमारे निर्णय पर चर्चा के साथ हो रही है. यह भी पढ़े: जम्मू-कश्मीर में कोई नेता हाउस अरेस्ट नहीं, वे हमारे हाउस गेस्ट, उन्हें फिल्मों और जिम की सुविधा मिल रही है: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह
’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस अनुच्छेद 370 की समाप्ति के पीछे राजनीति देखती है जबकि ‘‘हम इसे इस तरह से नहीं सोचते।’’उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर अस्तित्व में ही नहीं आता, यदि नेहरू ने बेवक्त पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम की घोषणा नहीं की होती...जो नेहरू की एक गलती थी. नेहरू के बजाय सरदार पटेल को इस मुद्दे से निपटना चाहिए था.’’उन्होंने कहा कि नेहरू उसके बाद संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आर्टिकल 35 के तहत संयुक्त राष्ट्र गए.‘‘यदि वह चार्टर 51 के तहत जाते, तो पीओके भारत के साथ होता।’’उन्होंने कहा, ‘‘सरदार पटेल के 1950 में निधन के बाद भारत सरकार ने शेख अब्दुल्ला के साथ दिल्ली समझौता पर हस्ताक्षर किया, जो कि अनुच्छेद 370 का आधार बना.’’
पाकिस्तान से भारत आये लोगों में दो...मनमोहन सिंह और इंद्र कुमार गुजराल...(बाद में) प्रधानमंत्री बने, जबकि लालकृष्ण आडवाणी उप प्रधानमंत्री बने. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, जो जम्मू कश्मीर गए उन्हें अनुच्छेद 370 के हटने तक मतदान का अधिकार नहीं था। आज ये लोग मतदान कर सकते हैं.. शाह ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी (पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना द्वारा किये गये) सर्जिकल स्ट्राइक सहित सरकार के कार्यों का सबूत मांगते हैं लेकिन वह जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) के ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ के साथ खड़े होते हैं.शाह ने उपनगरीय क्षेत्र गोरेगांव में आयोजित रैली में कहा, ‘‘जब गांधी और (राकांपा प्रमुख) शरद पवार यहां प्रचार के लिए आयें, आपको उनसे पूछना चाहिए कि वे अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन करते हैं या विरोध.’’ यह भी पढ़े: भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को पटखनी देकर किया चीत, UNHRC में कश्मीर पर समर्थन हासिल करने में इमरान खान नाकाम
शाह ने कहा, ‘‘अनुच्छेद 370 समाप्त करने के बाद कश्मीर में एक भी गोली नहीं चलाई गई है।’’उन्होंने कहा कि कश्मीर में कोई अशांति नहीं है और आने वाले दिनों में ‘‘आतंकवाद समाप्त हो जाएगा।’’बिना किसी का नाम लिए शाह ने कहा कि कश्मीर में जिन तीन परिवारों ने शासन किया, उन्होंने वहां भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) भी गठित नहीं होने दिया. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘कश्मीर में जो लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्हें ठंड में भी पसीने छूट रहे हैं।’’उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर में केवल (राजनीतिक) परिवारों को खतरा महसूस हो रहा है। कई संचार लाइनें काम कर रही हैं, टेलीफोन चालू हैं और कुछ बाजार भी खुल गए हैं। जल्द ही आपको यहां कश्मीर के प्रसिद्ध सेब मिलेंगे.’’
शाह ने कहा कि किसी ने भी अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को इतनी जल्दी समाप्त होने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन मोदी सरकार ने ऐसा किया. उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी हाल ही में राजनीति में आए हैं। जनसंघ और बाद में भाजपा की तीन पीढ़ियां अनुच्छेद 370 की समाप्ति के लिए बलिदान देने से पीछे नहीं हटीं।’’शाह ने कहा कि गांधी को इतिहास पढ़ने की जरूरत है।उन्होंने कहा, ‘‘हम अतीत में (विपक्ष में रहते हुए) राष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार के साथ रहे, जैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान इंदिरा गांधी का समर्थन किया था या कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।’’उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 कांग्रेस के लिए एक राजनीतिक मुद्दा था और है ‘‘लेकिन हमारे लिए इसे हटाना (कश्मीर के) पुन: एकीकरण का वादा था। आप (कांग्रेस) इसमें राजनीति देखते हैं लेकिन हम इसे देशभक्ति के रूप में देखते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर में 1990 से आज तक ‘ऑपरेशन तुपैक’ के चलते लगभग 40,000 लोग मारे गए। जबकि विपक्ष इसके (अनुच्छेद 370 खत्म करने) पीछे हमारे मकसद पर सवाल उठाता है. मैं आपको आश्वासन दे सकता हूं कि हम कश्मीर में जल्द ही आतंकवाद से निजात पा लेंगे.’’शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर के 196 पुलिस थानाक्षेत्रों में से केवल 10 में निषेधाज्ञा लगाई गईं. उन्होंने कहा, ‘‘99 फीसदी लैंडलाइन काम कर रहे हैं और 67 फीसदी मोबाइल फोन कनेक्शन फिर से चालू कर दिये गए हैं। सभी क्षेत्रों से कर्फ्यू हटा दिया गया है और व्यापार चल रहा है.’’
शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद, वहां अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लोग अब सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हजारों कश्मीरी नाबालिग लड़कियों की शादी पहले ही कर दी गई क्योंकि भारत सरकार का बाल विवाह निषेध कानून राज्य में लागू नहीं था। मोदी के फैसले के साथ, कश्मीरी लड़कियां अब सुरक्षित हैं।’’पवार की इस टिप्पणी पर कि केवल ‘‘पुलवामा जैसा’’ हमला ही भाजपा को अगले महीने होने वाले महाराष्ट्र चुनाव में हार से बचा सकता है, शाह ने कहा, ‘‘कुछ होता है या नहीं, भाजपा निश्चित रूप से विधानसभा चुनाव जीतेगी.’’