Allahabad High Court: हिंदू विवाह को केवल आर्य समाज या रजिस्ट्रार के प्रमाण पत्र से साबित नहीं किया जा सकता, बल्कि सप्तपदी या अन्य संस्कार और रीति-रिवाजों को दिखाना होगा; इलाहाबाद हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान कहा है कि 'आर्य समाज मंदिर या हिंदू विवाह रजिस्ट्रार' द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र दो पक्षों के बीच विवाह को साबित नहीं करता है.

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Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान कहा है कि 'आर्य समाज मंदिर या हिंदू विवाह रजिस्ट्रार' द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र दो पक्षों के बीच विवाह को साबित नहीं करता है. कोर्ट ने यह भी माना कि विवाह के तथ्य का दावा करने वाले पक्ष को ऐसा वीडियो साक्ष्य या गवाह पेश करना होगा, जिससे की हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 7 के तहत हिंदू विवाह की सप्तपदी, अन्य रस्में और रीति-रिवाज निभाए जाने का पता चलता हो. न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें अपीलकर्ता नाबालिग थी.

आरोप है कि लखनऊ के एक धार्मिक प्रवचन देने वाले 'गुरु' ने पीड़िता की माता-पिता को बहला-फुसलाकर अपीलकर्ता नाबालिग से विवाह कर लिया था. उस वक्त वह 18 वर्ष और 12 दिन की थी.

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हिंदू विवाह को केवल आर्य समाज/रजिस्ट्रार के प्रमाण पत्र से साबित नहीं हो सकता: HC

Hindu Marriage Not Proven By Mere Certificate Of Arya Samaj/ Registrar, Must Show Saptapadi Or Other Rites: Allahabad High Court | @UpasnaAgrawal01 https://t.co/ZIlNKSlsGc

चूंकि अपीलकर्ता ने विवाह के लिए कभी सहमति नहीं दी थी, इसलिए उसने विवाह को शून्य घोषित करने के लिए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12 के तहत वाद दायर किया. वहीं प्रतिवादी ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली की मांग करते हुए अधिनियम की धारा 9 के तहत वाद दायर किया था.

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