Coronavirus vaccine: राज्यसभा में स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन बोले- उम्मीद है कि अगले साल की शुरुआत तक भारत में कोरोना वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, 'भारत अन्य देशों की तरह ही प्रयास कर रहा है. पीएम के मार्गदर्शन में, एक विशेषज्ञ समूह इसे देख रहा है और हमारे पास उन्नत योजना है. हमें उम्मीद है कि अगले साल की शुरुआत तक भारत में वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी.'
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नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (Dr Harsh Vardhan) ने गुरुवार को राज्य सभा (Rajya Sabha) में कहा, "पिछले कुछ महीने से राज्य और केंद्र सरकार कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रही हैं. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूरा देश मिलकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है." डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, 'भारत अन्य देशों की तरह ही प्रयास कर रहा है. पीएम के मार्गदर्शन में, एक विशेषज्ञ समूह इसे देख रहा है और हमारे पास उन्नत योजना है. हमें उम्मीद है कि अगले साल की शुरुआत तक भारत में वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी.'
7 जनवरी को डब्ल्यूएचओ से चीन में कोरोना का मामला मिला था. 8 जनवरी से हमने बैठकें शुरू कर दी थी. आठ महीने से प्रधानमंत्री कोरोना को लेकर हर कार्रवाई पर नजर रख रहे हैं. सबकी सलाह ले रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 'पिछले 8 महीनों से जिस तरह से पीएम मोदी ने कोरोना से संबंधित छोटी से छोटी चीजों को बड़ी गहराई से मॉनिटर किया, लोगों को गाइड किया, उन्होंने सबकी सलाह ली. इसके लिए उन्हें इतिहास में याद किया जाएगा.' यह भी पढ़ें | क्या भाभीजी के पापड खाकर कोरोना ठीक होगा? संजय राउत ने राज्यसभा में मोदी सरकार पर साधा निशाना.
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कोरोना से लड़ रहा है देश:
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, जुलाई-अगस्त में भारत में 300 मिलियन कोरोना मामले और 5-6 मिलियन मौतों की बात कही गई थी. 135 करोड़ के इस देश में हम प्रतिदिन 11 लाख टेस्ट कर रहे हैं. हमसे ज्यादा कुल 5 करोड़ टेस्ट अभी तक अमेरिका ने किए हैं. हम जल्द ही अमेरिका को टेस्टिंग में पीछे छोड़ देंगे.'
इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सोमवार को कहा था कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए देशभर में लॉकडाउन लगाने समेत सरकार के समय पर लिये गए फैसलों से संक्रमण के करीब 14-29 लाख मामलों को रोकने में और 37,000-38,000 लोगों को मौत से बचाने में मदद मिली. डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि भारत में करीब 92 प्रतिशत मामले हल्के लक्षण वाले हैं, वहीं केवल 5.8 प्रतिशत मामलों में ऑक्सीजन थैरेपी की जरूरत पड़ी और केवल 1.7 प्रतिशत मामले आईसीयू वाले रहे.