HC on Dowry: कम दहेज देने के लिए ताना देना दंडनीय अपराध नहीं... इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आखिर क्यों कही ये बात

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महिला के पति के रिश्तेदारों के खिलाफ आपराधिक शिकायतों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यद्यपि दहेज की मांग एक दंडनीय अपराध है, लेकिन कम दहेज देने के लिए ताना देना अपने आप में एक दंडनीय अपराध नहीं है.

Allahabad High Court

HC on Dowry: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महिला के पति के रिश्तेदारों के खिलाफ आपराधिक शिकायतों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यद्यपि दहेज की मांग एक दंडनीय अपराध है, लेकिन कम दहेज देने के लिए ताना देना अपने आप में एक दंडनीय अपराध नहीं है. उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि परिवार के सदस्यों के खिलाफ आरोप स्पष्ट होने चाहिए, जिससे आपराधिक मुकदमा चलाने के लिए प्रत्येक सदस्य द्वारा निभाई गई विशिष्ट भूमिकाओं पर प्रकाश डाला जा सके. HC on Dowry: पति ने पत्नी के घर वालों से की पैसे की मांग तो हाई कोर्ट ने कहा यह 'दहेज' नहीं, जानें पूरा मामला.

जस्टिस विक्रम डी चौहान ने कहा, "कानून दहेज की मांग को दंडनीय मानता है, हालांकि, कम दहेज देने के लिए ताना देना दंडनीय अपराध नहीं है. आरोपी व्यक्ति द्वारा कथित तौर पर की गई मांग पूरी तरह से अस्पष्ट है."

पत्नी ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने दहेज के रूप में कार की मांग की थी और दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर उसे ससुराल से निकाल दिया गया और कथित तौर पर दवाइयां दी गईं जिससे वह बीमार हो गई.

आवेदकों ने कहा कि पत्नी ने मारपीट का कोई आरोप नहीं लगाया था और किसी भी समय चोट की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई थी. दलील दी गई कि पत्नी ने शादीशुदा ननद, जीजा और अविवाहित ननद के खिलाफ अस्पष्ट और सामान्य आरोप लगाए हैं. न्यायालय ने माना कि शिकायतों में अस्पष्ट आरोप अभियुक्तों के अधिकारों और खुद का बचाव करने की क्षमता में बाधा डालते हैं और प्रभावी ढंग से बचाव के लिए अनिश्चितता भी पैदा करते हैं.

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