Hate Speech Unacceptable: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नफरत भरे भाषण बिल्कुल मंजूर नहीं, सरकार बोली हम भी इसके खिलाफ
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि नफरत भरे भाषणों से माहौल खराब होता है और जहां भी आवश्यक हो, पर्याप्त पुलिस बल या अर्धसैनिक बल को तैनात किया जाना चाहिए और सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे के जरिये वीडियो रिकॉर्डिंग सुनिश्चित की जाए.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हेट स्पीच के मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए हरियाणा में हाल में हुए सांप्रदायिक दंगों के मद्देनजर दर्ज मामलों की जांच के लिए राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा समिति गठित किए जाने पर शुक्रवार को विचार किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समुदायों के बीच सौहार्द और भाईचारा बरकरार रखना आवश्यक है. उच्चतम न्यायालय हरियाणा सहित विभिन्न राज्यों में रैलियों में एक विशेष समुदाय के सदस्यों की हत्या और उनके सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार का आह्वान करने वाले कथित नफरत भरे भाषणों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. Nuh Violence: नूंह में 13 अगस्त तक बंद रहेगा इंटरनेट, अब तक 160 FIR और 393 गिरफ्तार.
सुनवाई के दौरान, सरकार की तरफ से पेश वकील नटराज ने कहा कि भारत सरकार भी नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ है, जिसकी पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज से निर्देश लेने और 18 अगस्त तक समिति के बारे में सूचित करने को कहा.
नफरत भरे भाषणों से माहौल खराब होता है
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि नफरत भरे भाषणों से माहौल खराब होता है और जहां भी आवश्यक हो, पर्याप्त पुलिस बल या अर्धसैनिक बल को तैनात किया जाना चाहिए और सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे के जरिये वीडियो रिकॉर्डिंग सुनिश्चित की जाए.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस वी एन भट्टी की बेंच ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज से निर्देश लेने और 18 अगस्त तक समिति के बारे में जानकारी देने को कहा. बेंच ने कहा, नफरती भाषण की समस्या अच्छी नहीं है और कोई भी इसे स्वीकार नहीं कर सकता.’ सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, नफरत भरे भाषण बिल्कुल मंजूर नहीं है.
बेंच ने कहा, ‘हम डीजीपी से उनके द्वारा नामित तीन या चार अधिकारियों की एक समिति गठित करने के लिए कह सकते हैं, जो इस तरह के मामलों में एसएचओ से सभी जानकारियां हासिल करेगी और उनका अवलोकन करेगी और यदि जानकारी प्रामाणिक है, तो संबंधित पुलिस अधिकारी को उचित निर्देश जारी करेगी.'
जहर परोसे जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती: कपिल सिब्बल
पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि लोगों को नफरत भरे भाषणों से बचाने की जरूरत है और ‘इस तरह का जहर परोसे जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.’
जब पीठ ने सिब्बल से एक समिति गठित करने के विचार के बारे में पूछा, तो वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘‘मेरी दिक्कत यह है कि जब कोई दुकानदारों को अगले दो दिन में मुसलमानों को बाहर निकालने की धमकी देता है, तो यह समिति मदद नहीं करने वाली है.’’
सिब्बल ने कहा कि पुलिस कहती रहती है कि प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है, लेकिन अपराधियों को कभी गिरफ्तार नहीं किया जाता या उन पर मुकदमा नहीं चलाया जाता. सिब्बल ने कहा, ‘‘समस्या प्राथमिकी दर्ज करने की नहीं है, समस्या यह है कि क्या प्रगति हुई? वे किसी को गिरफ्तार नहीं करते, न ही किसी पर मुकदमा चलाते हैं। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कुछ नहीं होता.’’ इस मामले में अब अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी.
(इनपुट भाषा)