Gurugram पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, गुरुग्राम में अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले फर्जी कॉल सेंटर का किया भंडाफोड़
पुलिस ने कहा कि आरोपी अमेरिकी नागरिकों को उनका सामाजिक सुरक्षा नंबर (एसएसएन) निलंबित करने की धमकी देकर झूठा कानूनी दबाव बनाते थे. उन्होंने उन्हें नशीली दवाओं के कथित उपयोग, नकली बैंक खातों को बनाए रखने का आरोप लगाकर नकली गिरफ्तारी वारंट भी भेजा, और प्रति ग्राहक सेवा शुल्क के रूप में 200 से 500 डॉलर देने के लिए कहा.
गुरुग्राम: गुरुग्राम (Gurugram) पुलिस ने सेक्टर-23 से संचालित किए जा रहे एक फर्जी कॉल सेंटर (Call Center) का भंडाफोड़ किया है. आरोप है कि झूठे कानूनी दबाव बनाकर अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाया है. इस सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. तीनों की पहचान जरार हैदर (Haider), परतेश पटेल (Partesh Patel) और निशर्ग (Nisharg) के रूप में हुई है. Gurugram: गुरुग्राम में अज्ञात हमलावरों ने युवक की गोली मारकर हत्या की
पुलिस ने कहा कि आरोपी अमेरिकी नागरिकों को उनका सामाजिक सुरक्षा नंबर (SSN) निलंबित करने की धमकी देकर झूठा कानूनी दबाव बनाते थे. उन्होंने उन्हें नशीली दवाओं के कथित उपयोग, नकली बैंक खातों को बनाए रखने का आरोप लगाकर नकली गिरफ्तारी वारंट भी भेजा, और प्रति ग्राहक सेवा शुल्क के रूप में 200 से 500 डॉलर देने के लिए कहा.
पुलिस के अनुसार, एसएसएन नौ अंकों का है, जिसे अमेरिकी सरकार अपने सभी नागरिकों को जारी करती है. सरकार इस संख्या का उपयोग निवासियों की जीवनभर की कमाई और काम किए गए वर्षों की संख्या पर नजर रखने के लिए करती है.
अधिकारियों ने आगे बताया कि गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए एसीपी डीएलएफ और एसीपी उद्योग विहार के नेतृत्व में साइबर क्राइम थाने की पुलिस टीम ने सेक्टर-23 में प्लॉट नंबर 3202 पर कॉल सेंटर पर छापा मारा.
छापेमारी के दौरान पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया और उनके पास से दो लैपटॉप, दो मोबाइल फोन सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बरामद किए.
एसीपी ने कहा, हमें एक प्रमुख इनपुट प्राप्त हुआ है कि सेक्टर-23 में इस फर्जी कॉल सेंटर ने कई अमेरिकी नागरिकों को उनके एसएसएन नंबर को निलंबित करने के बहाने झूठा कानूनी दबाव बनाकर धोखा दिया था. युवक कॉल सेंटर में कार्यरत थे, जिसे बिना लाइसेंस के संचालित किया जा रहा था.
एसीपी ने कहा, पूछताछ के दौरान, आरोपी ने खुलासा किया कि अमेरिकी नागरिकों का डेटा उनके मालिक द्वारा प्रदान किया गया था. उन्होंने ऑनलाइन वेबसाइटों के माध्यम से डेटा खरीदा था और अपने सर्वर वीआईसीआई डायलर पर अपलोड करते थे और अमेरिकी नागरिकों को रोजाना थोक में संदेश भेजते थे.