खुशखबरी! मुंद्रा में अदाणी समूह की तांबा इकाई शुरू, 7 हजार लोगों को मिलेगा रोजागार

धातु उद्योग में अदाणी पोर्टफोलियो की शुरुआत करते हुए, अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) की सहायक कंपनी कच्छ कॉपर ने गुरुवार को गुजरात के मुंद्रा में ग्राहकों को कैथोड का पहला बैच भेजनेे के सााथ ही अपनी ग्रीनफील्ड कॉपर रिफाइनरी परियोजना की पहली इकाई शुरू की.

Gautam Adani | PTI

अहमदाबाद, 28 मार्च : धातु उद्योग में अदाणी पोर्टफोलियो की शुरुआत करते हुए, अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) की सहायक कंपनी कच्छ कॉपर ने गुरुवार को गुजरात के मुंद्रा में ग्राहकों को कैथोड का पहला बैच भेजनेे के सााथ ही अपनी ग्रीनफील्ड कॉपर रिफाइनरी परियोजना की पहली इकाई शुरू की. इसके शुरू होने से दो हजार प्रत्यक्ष और पांच हजार अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

अदाणी एंटरप्राइजेज परियोजना के पहले चरण में 0.5 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) क्षमता वाला तांबा स्मेल्टर स्थापित करने के लिए लगभग 1.2 बिलियन डॉलर का निवेश कर रही है. अदाणी समूह के संस्थापक और चेयरमैन गौतम अदाणी ने कहा, "इस परियोजना के शुरू होने के साथ, अदाणी समूह न केवल धातु क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है, बल्कि भारत भी एक स्थायी और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर छलांग लगा रहा है." गौतम अदाणी ने कहा, "यह परियोजना भारत को वैश्विक तांबा क्षेत्र में सबसे आगे ले जाने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है." यह भी पढ़ें : आप की गोवा इकाई के अध्यक्ष और तीन अन्य लोग धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए ईडी के सामने पेश

कंपनी ने एक बयान में कहा, परियाेेेेजना के दूसरे चरण के पूरा होने पर कच्छ कॉपर - 1 एमटीपीए के साथ दुनिया का सबसे बड़ा एकल-स्थान कस्टम स्मेल्टर होगा. गौतम अदाणी ने कहा, "हमारा मानना है कि घरेलू तांबा उद्योग पर्यावरण संरक्षण के साथ 2070 तक देश के कार्बन मुक्त होने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा." अदाणी समूह के चेयरमैन ने कहा," हमारा आधुनिक स्मेल्टर नवोन्वेषी हरित प्रौद्योगिकी पर अधिक जोर के साथ तांबे के उत्पादन में नए मानक स्थापित करेगा."

नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों, चार्जिंग बुनियादी ढांचे और बिजली पारेषण और वितरण नेटवर्क के विकास के साथ तांबे की मांग बढ़ेगी. कच्छ कॉपर द्वारा इस्तेमाल की जाने रही तकनीक को न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है. संयंत्र के एक-तिहाई हिस्सेे में ग्रीन बेल्ट होगा. यहां पेड़-पौधे रोपे जाएंगे. संयंत्र में सादे पानी का उपयोग किया जा रहा है. कंपनी की ओर से कहा गया कि वह उपचारित अपशिष्ट जल काे फिर से साफ कर उसका इस्तेमाल करती है.

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