Fake ‘love jihad’ Case: उत्तर प्रदेश की 22 वर्षीय महिला ने 3 मुस्लिम युवकों को झूठे 'लव जिहाद' केस में फंसाया
उत्तर प्रदेश के बरेली में एक 22 वर्षीय विवाहित महिला ने नए विरोधी रूपांतरण अध्यादेश के तहत तीन मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ फेक रिपोर्ट दर्ज कराया. इस रिपोर्ट में महिला ने तीनों युवकों पर 20 साल की उम्र में उसका पीछा करने, सेक्शुअल हैरेसमेंट और उनमें से एक पर धर्मपरिवर्तन और शादी के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया.
बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली में एक 22 वर्षीय विवाहित महिला ने नए विरोधी रूपांतरण अध्यादेश के तहत तीन मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ फेक रिपोर्ट दर्ज कराया. इस रिपोर्ट में महिला ने तीनों युवकों पर 20 साल की उम्र में उसका पीछा करने, सेक्शुअल हैरेसमेंट और उनमें से एक पर धर्मपरिवर्तन और शादी के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया. पुलिस के मुताबिक महिला ने तीन मुस्लिम युवकों, जो रिश्तेदार हैं, उनके खिलाफ आरोप एक विशेष घटना से जुड़ें थे जो 1 दिसंबर को घटी थी. हालांकि, पूछताछ में पता चला कि तीनों को "गलत तरीके से फंसाया गया" क्योंकि वे उस दिन बरेली से बाहर थे. इसके बाद उनके खिलाफ लगाए गए आरोप हटा दिए गए और अब पुलिस शिकायत के खिलाफ धारा 182 के तहत एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने कहा कि शादी से पहले महिला का तीन युवकों में से एक के साथ संबंध था. पिछले साल सितंबर में वह उसके साथ भाग गई थी, जिसके बाद उसके चाचा ने पुलिस में गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराई. उसे नौ दिनों के भीतर ढूंढ लिया गया था. उसके परिवार ने बाद में अपने समुदाय के व्यक्ति से उसकी शादी कर दी. यह भी पढ़ें: Love Jihad In UP: लड़के को हिन्दू समझकर लड़की के मां बाप ने कराई शादी, उसके बाद जो हुआ..
महिला ने अपनी "झूठी" शिकायत में युवक पर शादी के बाद उसे घूरने और परेशान करने का आरोप लगाया था. उसने दावा किया कि 1 दिसंबर को उसने उसे बंदूक की नोक पर रोकने के बाद शादी करने और धर्मपरिवर्तन करने के लिए कहा. बाद में उसके दो चचेरे भाइयों ने उसके परिवार के सदस्यों को हत्या की धमकी दी, उसने कहा.
इसके बाद पुलिस ने राज्य सरकार द्वारा लगभग डेढ़ महीने पहले लाए गए उत्तर प्रदेश निषेध धर्म परिवर्तन अध्यादेश, 2020 के संबंधित धाराओं के तहत युवक और उसके दो चचेरे भाइयों के खिलाफ मामला दर्ज किया. पुलिस ने मोबाइल निगरानी रिपोर्ट के विवरण की जांच की तो पता चला कि तीनों 1 दिसंबर को बरेली में मौजूद नहीं थे. उनके खिलाफ आरोप हटा दिए गए हैं और उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लेने के 24 घंटे बाद रिहा कर दिया गया है.