नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के सेवा विभाग ने सभी सीधी भर्तियों में आर्थिक रूप से कमजोर तबके (Economically Backward Class) के लिए 10 फीसदी आरक्षण का निर्देश जारी किया है. यह इस साल एक फरवरी से प्रभावी होगा. लोकसभा चुनाव से पहले जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ईडीब्ल्यूएस को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने को मंजूरी दी थी.
यह अगड़ी जातियों की एक मुख्य मांग थी. हालांकि भाजपा की दिल्ली प्रदेश इकाई के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि इस मुद्दे पर उनकी पार्टी के संघर्ष की यह जीत है. सेवा विभाग के एक परिपत्र में दिल्ली सरकार के सभी विभागों और अन्य इकाइयों को आरक्षण के प्रावधान का पालन करने को कहा गया है. सक्षम प्राधिकार (उपराज्यपाल) की ओर से उप सचिव (सेवाएं) बीजू राज द्वारा यह परिपत्र 28 मई को जारी किया गया.
यह भी पढ़ें : दिल्ली हाई कोर्ट ने जनसंख्या नियंत्रण और सरकारी नौकरी संबंधित याचिका पर केंद्र सरकार को भेजा नोटिस
परिपत्र में कहा गया है कि इसका अनुपालन सभी विभागों, निगमों, बोर्डों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और दिल्ली सरकार की स्वायत्त इकाइयों को करना है. उपराज्यपाल कार्यालय फिलहाल सेवा विभाग पर अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल कर रहा है. दरअसल, सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर उपराज्यपाल कार्यालय और ‘आप’ सरकार के बीच विवाद न्यायालय में विचाराधीन है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार की घोषणा के बाद ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण का समर्थन किया था. दिल्ली में इस प्रावधान को लागू किये जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तिवारी ने कहा, ‘‘आप सरकार को सड़कों पर हमारे संघर्ष के कारण 10 प्रतिशत आरक्षण लागू करना पड़ा है. हम उन्हें आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना को लागू करने के लिए भी बाध्य बनाएंगे जो उन्होंने अवरुद्ध की है और दिल्ली के लोगों को इसके लाभ से वंचित किया है.’’