क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाए गए पाठ्यक्रमों की डिग्री को मान्यता देगा यूजीसी

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देगा. आयोग विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी पाठ्यक्रमों की अनुमति देकर भाषा की बाध्यता को समिति करेगा. इसके लिए कई यूजीसी ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. दरअसल उच्च शिक्षा के स्तर पर भी क्षेत्रीय भाषाओं में कई पाठ्यक्रम में को मान्यता देने की शुरूआत की जा रही है...

यूजीसी (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली, 9 अगस्त: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देगा. आयोग विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी पाठ्यक्रमों की अनुमति देकर भाषा की बाध्यता को समिति करेगा. इसके लिए कई यूजीसी ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. दरअसल उच्च शिक्षा के स्तर पर भी क्षेत्रीय भाषाओं में कई पाठ्यक्रम में को मान्यता देने की शुरूआत की जा रही है. इसके अलावा हाल ही में देश भर के एक दर्जन से अधिक शिक्षण संस्थानों को क्षेत्रीय भाषाओं के पाठ्यक्रमों को डिग्री प्रदान करने की अनुमति दी है. यूजीसी ने दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की डिग्री, डिप्लोमा व अन्य सर्टिफिकेट्स को भी मान्यता देने का फैसला किया है. यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने कहा कि  दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा विवि के कोर्स उच्च शिक्षा के सभी मानकों को पूरा करते हैं. यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला, ग्रामीण इलाकों में 17 अगस्त से कक्षा 5वीं से 8वीं तक के छात्रों के लिए फिर से खुलेंगे स्कूल

चेन्नई स्थित दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में हिंदी अनुवाद कोर्स पढ़ाया जाता है. यहां पाठ्यक्रम पूरा करने वाले छात्रों को हिंदी में दक्षता के लिए डिग्री, डिप्लोमा और प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है, जिसे अब यूजीसी की मान्यता मिल गई है. यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने एक नोटिस जारी करते हुए कहा कि दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा द्वारा प्रदान की जाने वाली डिग्री को मान्यता दी गई है. यह डिग्री सभी प्रयोजनों के लिए मान्य होगी. इसके माध्यम से अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में भी दाखिला लिया जा सकता है. उच्च शिक्षा के लिए यह डिग्री पूरी तरह मान्य है.

यूजीसी द्वारा यह निर्णय दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के छात्रों की शिकायत के उपरांत लिया गया है.  गौरतलब है देश की नई कि शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अन्तर्गत स्कूल, विश्विद्यालयों, तकनीकी शिक्षा संस्थानों में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है.

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