HC On Working Wife and Low Maintenance: पत्नी अपने बच्चे के लिए कमाती है, तो इसका मतलब ये नहीं कि पति द्वारा दिए जाने वाले गुजारा भत्ते में कटौती की जाए
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HC On Working Wife and Low Maintenance: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कोई पत्नी आर्थिक तंगी के कारण अपने और बच्चे के दैनिक खर्चों की पूर्ति के लिए काम करना शुरू कर देती है, तो यह उसके पति द्वारा उसे दिए जाने वाले गुजारा भत्ते को कम करने का आधार नहीं है.

अदालत ने पति की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पत्नी को 8,000 रु. नाबालिग बच्चे के लिए 3,000 रुपये के मासिक भरण-पोषण को संशोधित करने से इनकार कर दिया गया था. गजबे हैं! जमानत मिलने के बाद भी 3 साल तक जेल में रहा शख्स, ईमेल पर आदेश की कॉपी नहीं खोल सकी पुलिस, अब HC ने दिया 1 लाख का मुआवजा

अदालत ने कहा. “भले ही अंतरिम गुजारा भत्ता दे दिया गया हो, अपीलकर्ता पर लगभग 4,67,000/- रुपये का बकाया है और अपीलकर्ता/पति अंतरिम भरण-पोषण का भुगतान नहीं कर रहा है. इस तरह के वित्तीय संकट का सामना करते हुए, यदि प्रतिवादी (पत्नी) ने काम करना शुरू कर दिया है और आय का कुछ स्रोत उत्पन्न किया है जो कि लगभग रु. 10,000/- प्रति माह है. इसे गुजारा भत्ता कम करने का आधार नहीं माना जा सकता,''

पति ने इस आधार पर भरण-पोषण राशि में कटौती की मांग की थी कि कोविड-19 महामारी के कारण उसकी कमाई कम हो गई है और पत्नी ने कमाना शुरू कर दिया है. उन्होंने यह भी दावा किया कि पत्नी ने अपने रोजगार और कमाई के तथ्य को छुपाया था.

अपील को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा, “प्रतिवादी ने 6,000 रुपये से 10,000/- रुपये की आय का कुछ स्रोत बनाकर अपने खर्चों को पूरा करने का प्रयास किया, जहां पति गुजारा भत्ता देने के अपने दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रहा है. और 4,67,000/- रुपये से अधिक का बकाया है, इसे अंतरिम रखरखाव को संशोधित/कम करने का कारण नहीं माना जा सकता है,''