Delhi High Court: अवैध रूप से बना अस्थायी मंदिर हटाए दिल्ली सरकार

याचिकाकर्ता क्षेत्रीय निवासी विराट सैनी ने भीष्म पितामह मार्ग के फुटपाथ पर उनके घर के ठीक सामने बने अस्थायी मंदिर को हटाने की मांग की है. उन्होंने दावा किया है कि इससे उनके रास्ते में रुकावट पैदा होती है. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि अवैध निर्माण का फायदा उठाकर लोग वहां जमा हो जाते हैं जुआं खेलते हैं.

Delhi High Court: अवैध रूप से बना अस्थायी मंदिर हटाए दिल्ली सरकार
दिल्ली हाईकोर्ट (Photo Credits: ANI)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सोमवार को दिल्ली सरकार (Delhi Government) को दक्षिण दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी (Defense Colony) में सार्वजनिक संपत्ति के फुटपाथ पर कथित तौर पर कोविड-19 महामारी (COVID-19 Pandemic) के दौरान बनाए गए एक अस्थायी मंदिर (Temporary Temple) को हटाने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली (Rekha Palli) की पीठ ने अतिक्रमण हटाने के लिए दस दिन का समय देते हुए पुलिस को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि मूर्तियों और चित्रों को इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए पास के मंदिर में रखा जाए और लोक निर्माण विभाग को प्रक्रिया में सहायता करने का निर्देश दिया. Delhi High Court: मुस्लिम शादी को अनिवार्य विवाह आदेश के तहत पंजीकृत न करने को लेकर याचिका दायर

अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उस स्थल पर न तो कोई पूजा-पाठ करता है और न ही कोई पुजारी वहां मौजूद है. इससे पहले, स्थानीय पुलिस को इस ढांचे में आने वालों के ब्योरे के साथ एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया था.

याचिकाकर्ता क्षेत्रीय निवासी विराट सैनी ने भीष्म पितामह मार्ग के फुटपाथ पर उनके घर के ठीक सामने बने अस्थायी मंदिर को हटाने की मांग की है. उन्होंने दावा किया है कि इससे उनके रास्ते में रुकावट पैदा होती है. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि अवैध निर्माण का फायदा उठाकर लोग वहां जमा हो जाते हैं जुआं खेलते हैं.

इससे पहले, अक्टूबर में दिल्ली सरकार ने कहा था कि उपराज्यपाल के आदेश के तहत गठित धार्मिक समिति की पूर्व स्वीकृति प्राप्त किए बिना कोई भी धार्मिक संरचना, चाहे वह कितना भी छोटी क्यों न हो, को तोड़ा नहीं जा सकता. 7 दिसंबर को हुई पिछली सुनवाई में अदालत ने कहा था कि इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या धार्मिक समिति को उन अतिक्रमणों को हटाने की जरूरत है, जो छोटे आकार के हैं.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सार्वजनिक संपत्ति पर किसी भी तरह के अतिक्रमण की अनुमति नहीं दी जा सकती. दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त स्थायी वकील ने संरचना को ध्वस्त करने का प्रस्ताव दिल्ली धार्मिक समिति को भेजने के लिए समय मांगा.

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