चक्रवाती तूफान फानी का ओडिशा में तांडव, अब तक 6 की मौत, अब बंगाल की ओर बढ़ा
इस तूफान से ओडिशा के 14 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं. जिनमें पुरी, जगतसिंहपुर, केंद्रपारा, बालासोर, भदरक, गंजम,खुर्दा, जाजपुर, नयागढ़, कटक, गाजापटी, मयूरभंज, ढेंकानाल और कियोंझार का नाम है.
नई दिल्ली.ओडिशा में चक्रवात फानी (Fani Cyclone) की वजह से तेज बारिश शुरू हो गई है और तेज रफ्तार से हवाएं भी चल रही हैं. लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ओडिशा (Odisha) सरकार ने लगभग 11 लाख लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर भेज दिया है. तूफान के दौरान अलग-अलग जगह पर 6 लोगों की मौत हो गई.हालांकि इस बात की औपचारिक पुष्टि फिलहाल नहीं हुई है. मौसम विभाग के मुताबिक, इसका असर उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और तमिलनाडु और पुदुच्चेरी में भी दिख सकता है.
भारतीय मौसम विभाग के चीफ ने कहा है कि चक्रवाती तूफान फानी अब कमजोर पड़ चुका है और शनिवार की शाम तक बांग्लादेश में दाखिल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि आज ओडिशा में दिन भर तेज हवाओं के साथ भारी बारिश होगी. यह भी पढ़े-Cyclone Fani: ओडिशा के पुरी तट से टकराया तूफान 'फानी', जानिए कैसे पड़ा ये नाम और क्या है इसका मतलब?
इस तूफान से ओडिशा के 14 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं. जिनमें पुरी, जगतसिंहपुर, केंद्रपारा, बालासोर, भदरक, गंजम,खुर्दा, जाजपुर, नयागढ़, कटक, गाजापटी, मयूरभंज, ढेंकानाल और कियोंझार का नाम है.
बता दें कि इस तूफान से कई पेड़ उखड़ गए और भुवनेश्वर समेत कुछ स्थानों पर बनीं झोपडिय़ां तबाह हो गई हैं. क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र, भुवनेश्वर के निदेशक एच. आर. बिस्वास ने कहा, ‘‘चक्रवात सुबह करीब आठ बजे पुरी तट पर पहुंचा और चक्रवात के पहुंचने की प्रक्रिया पूरी होने में करीब तीन घंटे का समय लगेगा.’ यह भी पढ़े-ओडिशा तट से टकराया चक्रवाती तूफान 'फानी', 245 KM की रफ्तार से चल रही हवाओं से थर्राया पुरी
ओडिशा में आए चक्रवाती तूफान फनि के चलते 223 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. इसके साथ ही रेलवे ने एक हेल्पलाइन भी जारी की है. तूफान फानी के चलते किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं.
IMD हैदराबाद का कहना है कि ओडिशा के पुरी में 240-245 किमी/घंटे की गति से हवाए चल रही हैं। ओडिशा के तटीय इलाकों में तेज बारिश हो रही है. लैंडफॉल के बाद इसका असर कम होता जाएगा और यह पश्चिम बंगाल के तट की तरफ बढ़ जाएगा.