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सी आर पी एफ ने तय किया है कि नक्सल एवं आतंकवाद प्रभावित राज्यों में मुश्किल ड्यूटी के लिए दक्ष और मजबूत सैनिकों को तैयार करने के लिए वह अपनी पुरानी शारीरिक प्रशिक्षण प्रणाली को फिर से “नया रूप” देगी.

फाइल फोटो (Photo: IANS)

नई दिल्ली: सी आर पी एफ ने तय किया है कि नक्सल एवं आतंकवाद प्रभावित राज्यों में मुश्किल ड्यूटी के लिए दक्ष और मजबूत सैनिकों को तैयार करने के लिए वह अपनी पुरानी शारीरिक प्रशिक्षण प्रणाली को फिर से “नया रूप” देगी.  बल के प्रमुख ने बताया कि पुरानी प्रशिक्षण पद्धति की वजह से नए रंगरूटों को आ रही ताउम्र प्रभावित करने वाली चोटों पर चिंतित होते हुए सीआरपीएफ की ओर से यह फैसला लिया गया है.  करीब तीन लाख कर्मियों वाला यह मजबूत बल कॉन्स्टेबल रैंक पर युवा कर्मियों और असिस्टेंट कमांडेंट रैंक पर अधिकारियों की नियुक्ति करने वाले सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है.

हजारों कैडेट सालभर बल की विभिन्न अकादमियों में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं.  इस फैसले को अहम माना जा रहा है क्योंकि सरकार ने कुछ महीने पहले ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सी आर पी एफ), सीमा सुरक्षाबल (बी एस एफ) और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आई टी बी पी) जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सिपाही के रैंक पर बड़े पैमाने पर भर्ती करने के लिए अभियान चलाने की घोषणा की थी. इस अभियान के तहत कुल 54,953 कर्मियों की नियुक्ति की जाएगी.  इनमें से अधिकतम 21,566 की भर्ती सी आर पी एफ करेगी.

बल के महानिदेशक आर आर भटनागर ने पीटीआई-भाषा को बताया कि भर्ती प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में कर्मियों को चोटिल होते देखने के बाद सी आर पी एफ ने प्रशिक्षण का पुराना तरीका बदलने का निर्णय किया है. भटनागर ने बताया कि विशेषज्ञों की टीम इस विषय पर काम कर रही है कि किसी रंगरूट पर चोट के कारण “स्थायी प्रभाव” न पड़े, इसके लिए क्या किया जाना चाहिए.

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