कोरोना वायरस को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा- कोविड-19 की वैक्सीन आने में लग सकता है एक साल
हाल ही में जब भारत बायोटेक ने वैक्सीन कैंडिडेट का ऐलान किया तो हर भारतीय के मन में खुशी की एक लहर दौड़ गई। खुशी इस बात की कि वैक्सीन के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल करने में भारत भी खड़ा है. कईयों को यह भी लगने लगा कि वैक्सीन बहुत जल्द मार्केट में आ जाएी। लेकिन अगर स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मानें तो वैक्सीन आने में अभी एक साल तक लग सकता है.
हाल ही में जब भारत बायोटेक ने वैक्सीन कैंडिडेट का ऐलान किया तो हर भारतीय के मन में खुशी की एक लहर दौड़ गई. खुशी इस बात की कि वैक्सीन (Vaccine) के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल करने में भारत भी खड़ा है. कईयों को यह भी लगने लगा कि वैक्सीन बहुत जल्द मार्केट में आ जाएी. लेकिन अगर स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मानें तो वैक्सीन आने में अभी एक साल तक लग सकता है. आरएमएल, नई दिल्ली के डॉ. ए के वार्ष्णेय ने इस संबंध में बताया कि देश में हैदराबाद की भारत बायोटेक नाम की कंपनी है, जो आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (National Institute of Virology) के साथ मिलकर एक वैक्सीन बनायी है.
उसका एनिमल ट्रायल सफल रहा है। अब उसके ह्यूमन ट्रायल की अनुमति मिल गई है। लेकिन सामान्य रूप से कोई भी वैक्सीन बनाने में 2 से 5 वर्ष का समय लग जाता है। इस वैक्सीन को लेकर भारत बायोटेक का भी कहना है कि वैक्सीन आने में एक साल लग सकता है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इन दिनों वैक्सीन में जो सबसे आगे चल रहा है वो इंग्लैड के ऑक्सफ़ोर्ड की संस्था है, जिसकी वैक्सीन का फेज थ्री ट्रायल हो चुका है. ऑक्सफ़ोर्ड के साथ भारत का सीरम इंस्टीट्यूट भी काम कर रहा है. अगर वहां वैक्सीन सफल होती है तो भारत के लिए सीरम इंस्टीट्यूट वैक्सीन बना सकता है. यह भी पढ़े: COVAXIN: भारत की पहली COVID-19 वैक्सीन कैंडिडेट ‘कोवाक्सिन’ को मानव परीक्षण की अनुमति मिली, जुलाई में शुरू होंगे ट्रायल
प्लाजमा डोनर के लिए लाने-पहुंचाने की व्यवस्था
प्रसार भारती से बातचीत में डॉ. वार्ष्णेय ने प्लाज़मा थैरेपी से जुड़े सवालों के जवाब में बताया कि दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलारी साइंस में प्लाज़मा बैंक बनाया गया है. इससे एक जगह सभी प्लाज़मा सैम्पल इकट्ठा हो जाएंगे. इससे अगर किसी को इमरजेंसी में प्लाज़मा चाहिए होगा तो तुंरत मिल जाएगा. जल्द ही दिल्ली सरकार एक हेल्पलाइन नंबर देगी। अगर कोई प्लाज़मा देने के लिए फोन करेगा तो डोनर को घर से ले जाने और वापस पहुंचाने की व्यवस्था होगी. इससे डरने की जरूरत नहीं है.जो संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं अगर वो प्लाज़मा देते हैं तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। यह दो से तीन दिन में दोबारा बन जाता है.
हवा में कब और कैसे फैलता है वायरस
एक सवाल के जवाब में कि हवा में वायरस कितनी देर तक रहता है इस पर डॉ वार्ष्णेय ने कहा कि अगर कोई छींकता है तो उसके मुंह से निकलने वाली ड्रापलेट बहुत जल्दी नीचे गिर जाती हैं. बहार हैं तो धूप की वजह से ये ड्रॉपलेट्स जल्दी सूख जाती हैं. लेकिन अगर बंद कमरे में हैं, कमरे में एसी लगा है और हवा का वेंटिलेशन नहीं हो रहा है, तो ऐसे में अगर किसी संक्रमित ने छींका तो वायरस हवा में कई घंटे रह सकता है। इसलिए जहां सेंट्रल एसी है, वहां एसी नहीं चलाने को कहा गया है. क्योंकि वहां हवा का वेंटिलेशन नहीं होता है. बाहर हों या अंदर, वायरस आपके मुंह में नहीं जाए, इसलिए मास्क लगाने को कहा जाता है.
अनलॉक में भी कई जगह नहीं मिली है छूट
वहीं पूरे देश में अनलॉक-2 हो चुका है ऐसे में कई जगह अभी भी लोगों को या कंटेनमेंट जोन वालों को छूट नहीं दी जा रही है. इस बारे में उन्होंने कहा कि वायरस कब तक चलेगा अभी किसी को पता नहीं है। ऐसे में लोगों को सावधानियां बता कर अनलॉक किया गया। क्योंकि अर्थव्यवस्था के लिए और लोगों के रोजगार के लिए अनलॉक जरूरी है। लेकिन देश में वायरस का संक्रमण न बढ़े, इसलिए अगर कहीं संक्रमण बढ़ रहा है, उसे कंटेनमेंट जोन घोषित कर वहां से संक्रमण न बढे़ इसका ध्यान रखा जा रहा है. इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि इस बात का ध्यान रखना है कि कैसे सुरक्षित रहें.
उन्होंने कहा कि रोजाना केस बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन दूसरे देशों में मृत्यु दर 6 प्रतिशत के करीब है, लेकिन हमारे यहां 3 प्रतिशत तक है. लेकिन फिर भी हमें लापरवाही नहीं करनी है.हमारे देश की जनसंख्या बहुत ज्यादा है इसलिए अगर सावधानी अभी भी नहीं रखी तो अचानक से संक्रमण के केस और बढ़ सकते हैं। इसलिए नियमों का पालन करें. इन दिनों कई राज्यों से खबर आई कि लोगो मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं. जिसके बाद लोगों पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है.