
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक 25 वर्षीय व्यक्ति को बरी कर दिया साथ ही 2015 में एक नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में उसकी तीन साल की सजा को खत्म किया. यौन उत्पीड़न के मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, यौन इरादे के बिना केवल "आई लव यू" कहना यौन उत्पीड़न नहीं है. नागपुर सत्र न्यायालय ने पहले उस व्यक्ति को आईपीसी और पोक्सो प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था, जब 17 वर्षीय शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसने उसका हाथ पकड़ा और अपने प्यार का इजहार किया. न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी फाल्के ने कहा कि केवल "आई लव यू" यौन इरादे का संकेत नहीं देता है. अदालत ने यौन इरादे से शारीरिक संपर्क की कमी पर जोर देते हुए कहा, "वास्तविक इरादे की प्रकृति यौन होने का सुझाव देने के लिए कुछ और होना चाहिए." आरोपी का प्रतिनिधित्व कर रही वकील सोनाली खोबरागड़े ने तर्क दिया कि यौन उत्पीड़न के आवश्यक तत्व गायब थे.
बिना किसी यौन इरादे के 'आई लव यू' कहना यौन उत्पीड़न नहीं है
Merely saying “I love you” to a woman does not amount to sexual harassment unless the words are accompanied by conduct that clearly reflects sexual intent, the Nagpur bench of the Bombay High Court recently held.
The Court made the observation while setting aside the conviction… pic.twitter.com/d7ITwHVWCO
— Bar and Bench (@barandbench) July 1, 2025