Sputnik Light, Covavax और ZyCoV-D को लेकर सामने आई यह बड़ी खबर, जानें डिटेल्स

भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण की दूसरी लहर कमजोर पड़ चुकी है और आमजनजीवन को सामान्य बनाने के प्रयास जारी है. कोविड-19 महामारी पर जीत का बड़ा हथियार वैक्सीनेशन है. देशव्यापी वैक्सीनेशन अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 33.57 करोड़ डोज लगाई गई हैं.

कोरोना वैक्सीन (Photo credits: PTI)

नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण की दूसरी लहर कमजोर पड़ चुकी है और आमजनजीवन को सामान्य बनाने के प्रयास जारी है. कोविड-19 महामारी पर जीत का बड़ा हथियार वैक्सीनेशन है. देशव्यापी वैक्सीनेशन अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 33.57 करोड़ डोज लगाई गई हैं. कुछ दिन पहले ही कोरोना को हराने के लिए देश को मॉडर्ना के तौर पर चौथी वैक्सीन मिली. इसी सप्ताह केंद्र सरकार ने मॉडर्ना कोविड-19 वैक्सीन को भारतीय बाजार में उतारने को लेकर अपनी मंजूरी दे दी. इससे पहले सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और रूस की स्पूतनिक वी को भारत में लोगों को दिए जाने के लिए मंजूरी मिल चुकी है. यही नहीं जल्दी ही भारत को फाइजर की वैक्सीन भी मिल सकती है. इस बीच स्पुतनिक लाइट (Sputnik Light), कोवोवैक्स (Covavax) और जायकोव-डी (ZyCoV-D) वैक्सीन को लेकर अहम खबर सामने आई है. देश में कोविड-19 के 48,786 नए मामले, 1005 और लोगों ने गंवाई जान

स्पुतनिक लाइट वैक्सीन

भारतीय दवा नियामक संस्था ने डॉ रेड्डीज (Dr Reddy’s) को भारत में स्पुतनिक लाइट के तीसरे चरण का परीक्षण करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. रूस में स्पूतनिक-वी वैक्सीन के निमार्ताओं ने कहा कि उनकी सिंगल डोज की स्पुतनिक लाइट वैक्सीन ने कोविड-19 के खिलाफ 79.4 फीसदी प्रभावकारिता का प्रदर्शन किया है. यह कोरोना के सभी नई स्ट्रेन के खिलाफ काफी असरकारक साबित हुई है. एक बयान में कहा गया है कि यह वैक्सीन लगाने के 28 दिन बाद संकलित किये गए आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार सिंगल डोज की स्पूतनिक लाइट वैक्सीन ने 79.4 फीसदी प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया है. दो डोज में लगाई जाने वाली कई वैक्सीन की तुलना में स्पूतनिक लाइट वैक्सीन की प्रभावशीलता की दर करीब 80 फीसदी ज्यादा है.

कोवोवैक्स वैक्सीन

देश के केंद्रीय दवा प्राधिकरण की एक विशेषज्ञ समिति ने बुधवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को 2-17 आयुवर्ग के बच्चों पर कोविड-19 वैक्सीन 'कोवोवैक्स' के दूसरे या तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल करने की अनुमति देने के खिलाफ सिफारिश की है. सरकारी पैनल ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से 2-17 आयुवर्ग के लिए बनाई गई वैक्सीन ‘कोवावैक्स’ का परीक्षण पहले वयस्कों पर पूरा करने को कहा है. सीरम इंस्टीट्यूट ने सोमवार को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के समक्ष आवेदन करके 10 स्थानों पर 920 बच्चों पर कोवोवैक्स टीके के ट्रायल के संबंध में अनुमति मांगी थी. आवेदन पर विचार-विमर्श करने वाली केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन की कोविड-19 पर बनी विषय विशेषज्ञ समिति ने पाया कि इस वैक्सीन को किसी देश में अनुमति नहीं मिली है. समिति ने यह भी सिफारिश की है कि बच्चों पर कोवोवैक्स वैक्सीन के ट्रायल की अनुमति पर विचार करने के लिए कंपनी को वयस्कों पर जारी इस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के सुरक्षा एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता से जुड़े आंकड़े पेश करने चाहिए.

जायकोव-डी वैक्सीन

जायडस कैडिला ने गुरुवार को बताया कि उसने अपनी कोविड-19 वैक्सीन जायकोव-डी के आपातकालीन उपयोग के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से मंजूरी मांगी है. कंपनी ने कहा कि उसने भारत में अब तक 50 से अधिक केंद्रों में अपने कोविड-19 वैक्सीन के लिए क्लीनिकल परीक्षण किया है. जायडस कैडिला ने एक बयान में कहा, ‘‘कंपनी ने जायकोव-डी के लिए डीसीजीआई के कार्यालय में ईयूए के लिए आवेदन किया है. यह कोविड-19 के खिलाफ एक प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है.’’ कैडिला हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक डॉ शरविल पटेल ने कहा कि जब वैक्सीन को मंजूरी मिल जाएगी, तो इससे न सिर्फ वयस्कों को, बल्कि 12 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों को भी मदद मिलेगी. (एजेंसी इनपुट के साथ)

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