कोरोना वायरस से जंग: सिलीगुड़ी में प्लास्टिक की रेनकोट और सन ग्लास पहनकर डॉक्टर COVID-19 के मरीजों का कर रहे हैं इलाज
कोरोना वायरस (Coronavirus) से हो रहे संक्रमण से बचने के लिए पूरे देश मे लॉकडाउन है. डॉक्टरों की टीम देशभर में निरंतर इस वायरस के प्रकोप से लोगों को बचाने की जद्दोजहद में दिन-रात लगी है. लेकिन अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की सेवा करने वाले डॉक्टरों की जान के साथ खिलावाड़ का मामला सामने आया है. मामला पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से सामने आया है. जहां पर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का दावा है कि उन्हें COVID-19 पॉजिटिव मामलों की देखभाल के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विप्मेंट्स के नाम पर (PPE), लेबोरेटरी ग्लास और सर्जिकल/ N95 मास्क के बजाय बेडशीट के मास्क, सनग्लास और रेनकोट दिए गए हैं.
कोरोना वायरस (Coronavirus) से हो रहे संक्रमण से बचने के लिए पूरे देश मे लॉकडाउन है. डॉक्टरों की टीम देशभर में निरंतर इस वायरस के प्रकोप से लोगों को बचाने की जद्दोजहद में दिन-रात लगी है. लेकिन अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की सेवा करने वाले डॉक्टरों की जान के साथ खिलावाड़ का मामला सामने आया है. मामला पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से सामने आया है. जहां पर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का दावा है कि उन्हें COVID-19 पॉजिटिव मामलों की देखभाल के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विप्मेंट्स के नाम पर (PPE), लेबोरेटरी ग्लास और सर्जिकल/ N95 मास्क के बजाय बेडशीट के मास्क, सनग्लास और रेनकोट दिए गए हैं.
डॉ. शहरियार आलम ने बताया कि हमने मेडिकल सुपरिंटेंडेंट कम वाइस प्रिंसिपल (MSVP) से मुलाकात की थी. जिन्होंने हमें बताया कि पर्याप्त मात्रा में PPE नहीं है. दबाव डालने पर उन्होंने हमें ड्यूटी पर नहीं आने के लिए कहा है. हमें रेन कोट दिए गए हैं और कहा है कि इन्हें धोकर इस्तेमाल करो. भारत के अन्य राज्यों की तरह पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस से जूझ रहा है. राज्य में COVID-19 से संक्रमित एक व्यक्ति की हावड़ा जिले के एक अस्पताल में मौत हो गई. यहां कोविड-19 संक्रमण के कारण मरने वालों की संख्या कुल तीन हो गई है.
ANI का ट्वीट:-
वहीं अगर पॉजिटिव केस के आंकड़ो पर नजर डालें तो पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस के चार नए मामले सामने आने के साथ राज्य में कोविड-19 संक्रमितों की कुल संख्या 26 हो गई है. कोरोना वायरस से इस समय एक योद्धा की भांति पूरे देश में डॉक्टरों की टीम लड़ाई लड़ रही है. उनके इस अथक प्रयासों का परिणाम जल्द ही दुनिया के सामने आएगा. लेकिन अगर मुलभुत जरूरतें उन्हें नहीं मिली तो दूसरों की जान बचाने वालों की अपनी जान खतरें में पड़ जाएगी.