Alert! यूपी-बिहार और एमपी में बच्चे हो रहें बीमार, कई की मौत, सैकड़ों अस्पताल में भर्ती

देश के कई राज्यों में मानसून के साथ ही बीमारियों का खतरा काफी बढ़ गया. उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में तो यह बच्चों पर कहर बनकर टूट रहा है. आंकड़ों पर गौर करें तो बच्चे इसकी जद में तेजी से आ रहे है.

बच्चों पर कहर बनकर टूट रहा बुखार (Photo Credits: PTI)

लखनऊ: देश के कई राज्यों में मानसून के साथ ही बीमारियों का खतरा काफी बढ़ गया. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), बिहार (Bihar) और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में तो यह बच्चों पर कहर बनकर टूट रहा है. आंकड़ों पर गौर करें तो बच्चे इसकी जद में तेजी से आ रहे है. सबसे ज्यादा स्थिति यूपी के फिरोजाबाद में खराब है, जहां बुखार और डेंगू से अब तक कम से कम 55 लोगों की मौत हो गई है, इनमें ज्यादातर बच्चे हैं. बिहार के पटना सहित राज्य के कई जिलों में वायरल बुखार का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. मध्य प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही हाल है, जहां कोरोना महामारी और डेंगू के बीच एक और बीमारी- स्क्रब टाइफस ने दस्तक दे दी है. इस बीमारी का बच्चों पर खतरा ज्यादा है. यहां तक की एक बच्चे की मौत भी हो गई है. फिरोजाबाद में वायरल बुखार, डेंगू से 50 लोगों की मौत, मुख्यमंत्री ने दिए जरूरी निर्देश

उत्तर प्रदेश

पश्चिमी यूपी में डेंगू और वायरल बुखार कहर बरपा रहा है. फिरोजाबाद के हालात बेहद खराब हो रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां पर नजर बनाए हुए हैं, साथ ही यहां ग्राउंड पर बड़े अधिकारीयों को हालात काबू में करने के लिए तैनात किया गया है. बीमारी की वजह से आठवीं तक के स्कूल भी बंद किये गए थे. केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य सचिव राजेश भूषण ने हाल ही में बताया कि केंद्रीय दल ने यह पाया है कि उत्‍तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में वायरल बुखार के अधिकांश मामलों और मौत का कारण डेंगू है. उन्‍होंने कहा कि कुछ मामले स्‍क्रब टाइफस और लेपटोस्‍पिरोसिस भी कारण है.

केंद्र सरकार ने सुझाव दिया है कि बुखार के सभी मरीजों की डेंगू, मलेरिया, स्‍क्रब टाइफस और लेपटोस्‍पिरोसिस के लिए जांच कराई जाए. साथ ही फिरोजाबाद और निकटवर्ती जिलों के जिला अस्‍पतालों में आइसोलेशन बिस्‍तर और अस्‍पाल में भर्ती करने की सुविधा को बढ़ाने को कहा है.

वहीं, फिरोजाबाद जिले में डेंगू के कहर के बाद अब बलिया जिले में बच्चों में वायरल बुखार तेजी से फैल रहा है. बलिया जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ ने पिछले कुछ हफ़्तों में वायरल बुखार के रोगियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ने की बात कही है.

बिहार

बिहार में बच्चे वायरल बुखार की चपेट में हैं और सभी बड़े अस्पतालों के पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) वार्ड तेजी से भर रहे हैं. इन अस्पतालों के डॉक्टरों को डर है कि वायरल फीवर कोरोना वायरस का नया रूप हो सकता है. हालांकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है. स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि पीएमसीएच, एनएमसीएच, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना एम्स, एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर, भागलपुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल जैसे प्रमुख अस्पतालों में बच्चों के वार्ड 80 फीसदी भरे हुए हैं.

सारण के अमनौर प्रखंड के तरपुर गांव में पिछले चार दिनों में तीन बच्चों की मौत हो गई. सूत्रों ने बताया है कि गांव के करीब 70 बच्चों को वायरल फीवर और सांस लेने में तकलीफ है. गांव में मेडिकल टीम कैंप कर रही है. गोपालगंज जिले में भी एक बच्चे की मौत हो गई. डॉक्टरों का मानना है कि बच्चों में इन्सेफलाइटिस (चमकी) बुखार के लक्षण दिखाए दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग ने सभी मेडिकल स्टाफ की छुट्टी रद्द कर दी है. राज्य सरकार हाई अलर्ट पर है.

भागलपुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पीआईसीयू वार्ड में 70 बेड हैं और उनमें से 50 भरे हुए है. एनएमसीएच में 136 बेड पीआईसीयू वार्ड में हैं और इनमें से 85 पर कब्जा है. सीतामढ़ी, सीवान, गोपालगंज, पश्चिमी चंपारण और पूर्वी चंपारण के मरीज बड़ी संख्या में भर्ती थे.

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में वायरल फीवर और डेंगू के बीच स्क्रब टाइफस का खतरा बढ़ रहा है. इस बीमारी की चपेट में आने से एक बच्चे की मौत की पुष्टी हुई है. पिछले दिनों रायसेन जिले में एक बच्चा स्क्रब टाइफस नामक बीमारी की गिरफ्त में आया था, उसे जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र चिकित्सा महाविद्यालय में भर्ती कराया गया, मगर उसकी जान नहीं बचाई जा सकी थी. राज्य में डेंगू का भी खतरा बना हुआ है. इस बीच स्क्रब टाइफस की दस्तक ने स्वास्थ्य महकमें की चुनौतियां बढ़ा दी है.

चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो यह बीमारी शुरूआत में वायरल बुखार जैसी लगती है मगर बाद में यह गंभीर रूप ले लेती है. यह बीमारी रिकेटसिया नाम के जीवाणु से फैलती है. यह जीवाणु आमतौर पर पिस्सुओं में पाया जाता है और यह पिस्सू जंगली चूहों से होते हुए इंसान तक पहुंचते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि लार्वा माइट्स के काटने के 10 दिनों में ही इस बीमारी के लक्षण नजर आने लगते हैं. शुरू में ठंड के साथ तेज बुखार आता है और शरीर के साथ मांस पेशियों में भी दर्द होने लगता है. बीमारी बढ़ने पर जिस स्थान पर लार्वा माइट्स काटता है, वहां गहरे लाल रंग का चकत्ता बन जाता है और उस पर पपड़ी जम जाती है. हालत बिगड़ने पर तो मरीज कोमा तक में चला जाता है. इसमें दिल, गुर्दा, श्वासन और पाचन प्रणाली प्रभावित होती है, कई बार नर्वस सिस्टम भी फेल हो जाता है. यह बीमारी आमतौर पर जुलाई से अक्टूबर के बीच अपना असर दिखाती है मगर यह इंसान से इंसान में नहीं फैलती.

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