कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव संकट खत्म करने के लिए सोनिया से मिल सकते हैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
राजस्थान कांग्रेस में संकट के बीच खबर है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सोनिया गांधी से मिल सकते हैं और पूरी घटना पर स्पष्टीकरण दे सकते हैं. सूत्रों से ये जानकारी मिली है.
नई दिल्ली, 28 सितंबर : राजस्थान कांग्रेस में संकट के बीच खबर है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सोनिया गांधी से मिल सकते हैं और पूरी घटना पर स्पष्टीकरण दे सकते हैं. सूत्रों से ये जानकारी मिली है. गहलोत बताएंगे कि उनके समर्थक विधायकों ने जयपुर में विधायक दल की बैठक का क्यों बहिष्कार किया. सूत्रों ने बताया कि वह 30 सितंबर तक दिल्ली में रहेंगे. कांग्रेस नेताओं का एक धड़ा अध्यक्ष पद के लिए एक बार फिर गहलोत के नाम पर जोर दे रहा है. सूत्रों ने बताया कि फैसला बुधवार शाम तक लिया जा सकता है. खबरों के मुताबिक, राजस्थान का मौजूदा संकट भी अगले दो दिनों में सुलझा लिया जाएगा.
सीएम पद के लिए गहलोत खेमे के कड़े विरोध का सामना कर रहे सचिन पायलट पहले से ही दिल्ली में हैं. अभी तक पायलट चुप्पी साधे हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक सीएम पद को लेकर भी जल्द फैसला हो सकता है. कांग्रेस ने मंगलवार को राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, पार्टी के मुख्य सचेतक महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर को जयपुर में पार्टी विधायकों की समानांतर बैठक करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया. धारीवाल को जारी नोटिस में कहा गया है कि संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते उन्होंने अपने आवास पर समानांतर विधायकों की बैठक आयोजित कर गंभीर अनुशासनहीनता की है और इस प्रकार विधायकों पर आधिकारिक बैठक में शामिल नहीं होने के लिए दबाव डाला. यह भी पढ़ें : नोटबंदी के विरुद्ध दायर याचिकाओं के ‘अकादमिक’ होने पर 12 अक्टूबर को विचार करेगा न्यायालय
इनसे दस दिनों में जवाब मांगा गया है. नोटिस में ये भी कहा गया है कि धारीवाल ने समानांतर बैठक तब बुलाई जब पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने बार-बार स्पष्ट किया कि वे हर विधायक से व्यक्तिगत और निष्पक्ष रूप से बात करने आए हैं. इसी तरह, जोशी को दिए गए नोटिस में कहा गया है कि मुख्य सचेतक के रूप में, उन्होंने आधिकारिक सीएलपी (कांग्रेस विधायक दल) की बैठक का बहिष्कार कर पर्यवेक्षकों के समय विधायकों की समानांतर बैठक में भाग लेकर गंभीर अनुशासनहीनता की है. पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट और नोटिस में गहलोत का नाम नहीं लिया है. सूत्रों के मुताबिक, आलाकमान स्थिति को सुलझाने और आगे के विवादों से बचने की कोशिश कर रहा है.