देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी ‘CBI’ में चल रही है खुली जंग, जांच के घेरे में कई वरिष्ठ अधिकारी
देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई यानी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन में भीतर ही भीतर घमासान मचा हुआ है. खबरों की मानें तो अब मामला इतना गंभीर हो चूका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को हस्तछेप करना पड़ रहा है. सीबीआई ने अदालत को बताया कि उनका एक शीर्ष अधिकारी जांच की आड़ में कथित जबरन वसूली करता है.
नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई यानी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन में भीतर ही भीतर घमासान मचा हुआ है. खबरों की मानें तो अब मामला इतना गंभीर हो चूका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को हस्तछेप करना पड़ रहा है. सीबीआई ने अदालत को बताया कि उनका एक शीर्ष अधिकारी जांच की आड़ में कथित जबरन वसूली करता है.
देश की प्रमुख जांच एजेंसी- सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच पिछले कई महीनों से जारी विवाद और गहरा गया है. दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे के खिलाफ भ्रष्टाचार और अन्य गंभीर आरोप लगाए हैं.
पिछले दिनों सीबीआई ने भ्रष्टाचार के एक मामले में अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और इस सिलसिले में अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार भी किया. मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले में जांच अधिकारी रहे कुमार पर कारोबारी सतीश साना के बयान दर्ज करने में धोखाधड़ी के आरोप हैं. साना ने आरोप लगाया था कि उन्होंने इस मामले में राहत पाने के लिए रिश्वत दी थी.
इस घूसकांड मामले में जांच एजेंसी में दूसरे नंबर के अधिकारी अस्थाना का भी नाम आ रहा है. आरोप है कि अस्थाना ने पांच करोड़ रूपए की रिश्वत के बदले कारोबारी सतीश सना को राहत प्रदान की थी. रिश्वत की राशि बिचौलिए मनोज प्रसाद ने प्राप्त की थी. प्रसाद को 16 अक्टूबर 2018 को भारत आने पर गिरफ्तार किया गया था. कारोबारी के खिलाफ जांच अस्थाना ही कर रहे थे.
वहीं गिरफ्तार किये गए सीबीआई अधिकारी ने अदालत में आरोप लगाया कि मौजूदा मामला उस जांच को पटरी से उतारने के लिये दायर किया गया है जिसमें मीट कारोबार मोइन कुरैशी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि अधिकारी के घर और कार्यालय पर छापे के दौरान संदिग्ध दस्तावेज और साक्ष्य मिले थे. दावा किया गया कि कुमार जांच की आड़ में वसूली करने वाले गिरोह का हिस्सा थे. जिसके बाद कुमार को सात दिनों की रिमांड पर भेज दिया गया है.
सीबीआई ने आरोप लगाया कि कुमार ने अस्थाना द्वारा सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (सीवीसी) में लगाए निराधार आरोपों को पुष्ट करने के लिए बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया. बता दें कि 19 अक्टूबर को अस्थाना ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी को एक पत्र लिखा.
सरकारी सूत्रों के अनुसार अस्थाना ने 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव को एक विस्तृत पत्र लिखकर वर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के 10 मामले गिनाए थे. इसी पत्र में यह भी आरोप लगाया गया था कि साना ने इस मामले में क्लीनिचट पाने के लिए सीबीआई प्रमुख को दो करोड़ रुपये दिये.
गुजरात संवर्ग के आईपीएस अधिकारी अस्थाना उस विशेष जांच दल (एसआईटी) की अगुवाई कर रहे हैं जो अगस्टावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले और उद्योगपति विजय माल्य द्वारा की गयी ऋण धोखाधड़ी जैसे अहम मामलों को देख रहा है.