Calcutta HC on Indiscriminate Expansion: कलकत्ता हाईकोर्ट ने की अग्निशमन सेवा कर्मियों के 'अंधाधुंध' कार्यकाल विस्तार पर बंगाल सरकार की खिंचाई

न्यायमूर्ति बसाक ने कहा, “एक वर्ष की अवधि के लिए भर्ती को अनिश्चित काल तक नहीं बढ़ाया जा सकता है इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी

Calcutta High Court (Photo Credit: Wikimedia Commons)

कोलकाता, 25 जुलाई:पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य अग्निशमन सेवा विभाग में अस्थायी कर्मचारियों के "अंधाधुंध" विस्तार पर मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की नाराजगी का सामना करना पड़ा मामले में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति देबांगशु बसाक ने राज्य अग्निशमन सेवा विभाग में कुछ अस्थायी कर्मचारियों को दिए गए तीन साल के विस्तार के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया, जिन्हें मूल रूप से केवल एक वर्ष की अवधि के लिए भर्ती किया गया था उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों को इस तरह का अंधाधुंध विस्तार दिया गया, उन्हें उनकी सेवाओं से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति बसाक ने कहा, “एक वर्ष की अवधि के लिए भर्ती को अनिश्चित काल तक नहीं बढ़ाया जा सकता है इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी, इसमें राज्य अग्निशमन सेवा विभाग में अस्थायी कर्मचारियों की शर्तों के विस्तार के औचित्य पर सवाल उठाया गया था, जब एक ही विभाग में विभिन्न रैंकों में 5,000 से अधिक स्थायी पद खाली पड़े थे. यह भी पढ़े: West Bengal Teacher's Recruitment Scam: बंगाल नगरपालिका भर्ती घोटाला- सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली दूसरी एसएलपी ली वापस

यह इंगित करते हुए कि वर्तमान में राज्य अग्निशमन सेवा विभाग में 1,200 अस्थायी कर्मचारी हैं, याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया कि स्थायी रोजगार की कुर्सियों को खाली रखते हुए अस्थायी कर्मचारियों की शर्तों को बढ़ाकर ऐसे महत्वपूर्ण विभाग के कामकाज को कैसे प्रबंधित किया जा सकता है.

अपनी दलील में राज्य के महाधिवक्ता एस.एन. मुखोपाध्याय ने बताया कि पश्चिम बंगाल अग्निशमन सेवा अधिनियम, 1950 के अनुसार, कुल कर्मचारियों की संख्या का 50 प्रतिशत स्थायी है, इसके लिए सीधी भर्ती की जाती है, जबकि शेष 50 प्रतिशत सहायक स्वयंसेवकों में से की जाती है दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने राज्य सरकार को अगले 15 दिनों के भीतर इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

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