नयी दिल्ली, 5 फरवरी : देश के 44.1 प्रतिशत लोगों का मानना है कि एक फरवरी को संसद में पेश किये बजट के कारण अगले एक साल जीवन की गुणवत्ता घटेगी. आईएएनएस-सीवोटर ने बजट के बाद इस संबंध में सर्वेक्षण किया. सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 39.7 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बजट के कारण अगले साल जीवन की गुणवत्ता में बेहतरी आने की बात की तो 12.4 प्रतिशत ने कहा कि गुणवत्ता में कोई बदलाव नहीं आयेगा. सर्वेक्षण में शामिल 46.6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि गत साल उनके जीवन की गुणवत्ता में गिरावट आयी, 25.5 प्रतिशत ने कहा कि गुणवत्ता स्थिर रही जबकि 24.5 ने गुणवत्ता में सुधार आने की बात की.
आईएएनएस-सीवोटर ने संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश किये जाने के बाद बजट पर लोगों की प्रतिक्रिया जानने के लिए सर्वेक्षण किया. सर्वेक्षण के दौरान उनके कई सवाल पूछे गये. यह सर्वेक्षण देश के अलग-अलग हिस्सों में किया गया और करीब 1,200 लोगों से सवाल पूछे गये. सर्वेक्षण में बजट के कारण महंगाई में कमी आने के संबंध में पूछे गये सवाल पर 44.1 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे महंगाई में कोई कमी नहीं आयेगी, 26.7 प्रतिशत ने कहा कि चीजों के दाम में हल्की गिरावट आयेगी जबकि 22.6 प्रतिशत ने दामों में भारी गिरावट आने की बात की. यह भी पढ़ें : Budget 2022: 60 फीसदी लोगों का मानना है कि मासिक खर्च को बढ़ाने वाला है बजट
केंद्रीय बजट में आयकर में किसी प्रकार की छूट नहीं दी गयी जिससे कोरोना संकट के दौर में कम आय और बढ़ती महंगाई से जूझ रहे मध्यम वर्ग को कोई राहत नहीं मिली. बजट में निजी उपभोग क्षमता को बढ़ाये जाने के उपाय भी सीमित रहे. आयकर में राहत और मनरेगा के आवंटन में बढ़ोतरी से निजी उपभोग क्षमता पर तत्काल सकारात्मक प्रभाव पड़ता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी दबाव में आते नहीं दिखे क्योंकि केंद्रीय बजट में लोकलुभावन और क्षेत्रीयता को ध्यान में रखकर प्रावधान नहीं किये गये हैं. इस माह देश के पांच राज्यों में चुनाव होने हैं लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को ध्यान में रखकर कोई नयी घोषणा नहीं की गयी है.