अमरनाथ यात्रा 2019: 22 दिनों में टूटा पिछले साल के 60 दिनों का रिकॉर्ड, 2 लाख 85 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन

अमरनाथ यात्रा के 22वें दिन 13,377 यात्रियों ने पवित्र गुफा के दर्शन किए और इस साल अमरनाथ यात्रा शुरू होने के बाद से 22 दिनों में बाबा बर्फानी के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं ने संख्या के मामले में पिछले साल पूरे 60 दिनों की यात्रा अवधि का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इस साल 45 दिवसीय अमरनाथ यात्रा का समापन 15 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ होगा.

अमरनाथ तीर्थयात्री (Photo Credits : IANS)

जम्मू : अमरनाथ यात्रा के 22वें दिन 13,377 यात्रियों ने पवित्र गुफा के दर्शन किए और इस साल अमरनाथ यात्रा शुरू होने के बाद से 22 दिनों में बाबा बर्फानी के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं ने संख्या के मामले में पिछले साल पूरे 60 दिनों की यात्रा अवधि का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. यहां अधिकारियों ने कहा, "अमरनाथ यात्रा के 22वें दिन कल 13,377 यात्रियों ने पवित्र गुफा के दर्शन किए और इस साल 1 जुलाई को यात्रा शुरू होने के बाद से 2,85,381 यात्री गुफा के दर्शन कर चुके हैं."

उन्होंने कहा, "पिछले साल यात्रा की पूरी 60 दिनों की अवधि में 2,85,006 यात्रियों ने यात्रा पूरी की थी." पुलिस ने कहा कि भगवती नगर यात्री निवास से 3,060 यात्रियों का एक जत्था मंगलवार को सुरक्षा सहित दो काफिलों में रवाना हुआ. पुलिस अधिकारी ने आगे बताया, "इनमें से 1,109 यात्री बालटाल आधार शिविर जा रहे हैं जबकि 1,951यात्री पहलगाम आधार शिविर जा रहे हैं."

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श्रद्धालुओं के अनुसार, अमरनाथ गुफा में बर्फ की विशाल संरचना बनती है जो भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों की प्रतीक है. तीर्थयात्री पवित्र गुफा तक जाने के लिए या तो अपेक्षाकृत छोटे 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से जाते हैं या 45 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग से जाते हैं. बालटाल मार्ग से लौटने वाले श्रद्धालु दर्शन करने वाले दिन ही आधार शिविर लौट आते हैं.

दोनों आधार शिविरों पर हालांकि तीर्थ यात्रियों के लिए हैलीकॉप्टर की भी सेवाएं हैं. स्थानीय मुस्लिमों ने भी हिंदू तीर्थयात्रियों की सुविधा और आसानी से यात्रा सुनिश्चित कराने के लिए बढ़-चढ़कर सहायता की है. एसएएसबी के अधिकारियों के अनुसार, यात्रा के दौरान 24 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जिनमें से 22 तीर्थयात्रियों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है, वहीं दो लोगों की मौत दुर्घटनाओं में हुई है.

पवित्र गुफा की खोज सन 1850 में एक मुस्लिम चरवाहे बूटा मलिक ने की थी. किवदंतियों के अनुसार, एक सूफी संत ने चरवाहे को कोयले से भरा एक बोरा दिया था, जो बाद में सोने से भरे बोरे में बदल गया था. लगभग 150 सालों से चरवाहे के वंशजों को पवित्र गुफा पर आने वाले चढ़ावे का कुछ भाग दिया जाता है. इस साल 45 दिवसीय अमरनाथ यात्रा का समापन 15 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ होगा.

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