बिहार में पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के कार्यकाल की तुलना में अब कानून व्यवस्था बेहतर: DGP
बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय (Photo Credits: Twitter)

बिहार (Bihar) में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे राज्य के डीजीपी एस.के. सिंघल (SK Singhal) ने दावा किया कि पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) के कार्यकाल की तुलना में अब स्थिति पहले से बेहतर है. पिछले डीजीपी पांडे ने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए वीआरएस ले लिया था. उसके बाद 22 सितंबर को सिंघल ने बिहार डीजीपी के रूप में कार्यभार संभाला. हालांकि, जनता दल (युनाइटेड) ने पांडे को टिकट देने से इनकार कर दिया, इस कारण वह चुनाव नहीं लड़ पाए.

सिंघल ने कहा, "मैंने सितंबर में डीजीपी के रूप में कार्यभार संभाला है. जब आप अक्टूबर 2020 के अपराध ग्राफ की तुलना अक्टूबर 2019 से करते हैं और पिछले वर्ष के साथ अन्य महीनों की समान अवधि के दौरान करते हैं, तो अपराध का ग्राफ कम है." सिंघल ने मीडिया से पूछा, "आप 2019 के अपराध डेटा को क्यों नहीं दिखाते, जब विभाग ने कहीं अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए थे?" सिंघल को तब से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से उनसे फोन पर संपर्क किया और मीडिया के सवालों के जवाब देने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री को वर्तमान डीजीपी और अन्य पुलिस अधिकारियों के बारे में शिकायतें मिलीं कि ये जनता का सामना करने से बच रहे हैं. यह भी पढ़े: Bihar Assembly Elections 2020: बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने दिया इस्तीफा, JDU से विधानसभा चुनाव लड़ने की अटकलें तेज, रिया पर बयान से आये थे सुर्खियों में

राजद नेता तेजस्वी यादव, बिहार कांग्रेस के प्रमुख मदन मोहन झा, जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के नेता पप्पू यादव और अन्य विपक्षी नेताओं ने संबंधित विभागों में नौकरशाहों के एकाधिकार की ओर इशारा करते हुए आरोप लगाया कि इन्होंने आम लोगों की अनदेखी की और जनप्रतिनिधियों के फोन का जवाब भी नहीं दिया. बिहार के डीजीपी ने बताया कि अक्टूबर 2020 तक कुल सं™ोय अपराध के मामले 2,14,968 हैं जो 2019 की तुलना में कम है जब उसी अवधि के दौरान विभाग ने 2,27,604 सं™ोय अपराध दर्ज किए गए थे. 2019 की तुलना में 2020 में हत्या जैसे जघन्य अपराध अभी भी अधिक हैं.