Bharat Bandh 2020 on January 8: जानें बुधवार को ट्रेड यूनियन क्यों कर रहे हैं भारत बंद, क्या हैं उनकी मांगे

ट्रेड यूनियनों ने दावा किया कि लगभग 25 करोड़ लोग बुधवार को होने वाली अखिल भारतीय हड़ताल का हिस्सा होंगे. 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि श्रम मंत्रालय श्रमिकों की किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है.

भारत बंद (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ बुधवार यानी 8 जनवरी को 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (Trade Unions) ने 8 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल (Nationwide Strike) का आह्वान किया है. भारत बंद के चलते बुधवार को देशभर में सामान्य जीवन प्रभावित होने की संभावना है. ट्रेड यूनियनों ने दावा किया कि लगभग 25 करोड़ लोग बुधवार को होने वाली अखिल भारतीय हड़ताल का हिस्सा होंगे. 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि श्रम मंत्रालय श्रमिकों की किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है. केंद्रीय श्रमिक संगठन ने एक बयान में कहा, केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीति, जन विरोधी नीति तथा राष्ट्र विरोधी नीति के खिलाफ यह बंद बुलाया गया है.

सितंबर 2019 में, ट्रेड यूनियनों ने एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने के लिए एक घोषणा की थी. जिसमें सरकार के कई श्रमिक-विरोधी, जन-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी नीतियों को बदलने की मांग की गई थी. ट्रेड यूनियनों की प्रमुख मांगों में बेरोजगारी, न्यूनतम मजदूरी तय करना और सामाजिक सुरक्षा तय करना शामिल हैं. ट्रेड यूनियनें श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन  21,000 रुपये से  24,000 रुपये प्रति माह करने की मांग कर रही है.

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इस देशव्यापी हड़ताल में हिस्सा लेने वाली यूनियनों में INTUC, HMS, AITUC, CITU, AIUTUC, SEWA, TUCC, AICCTU, LPF, UTUC और कई अन्य सेक्टोरल इंडिपेंडेंट फेडरेशन और असोसिएशन्स हिस्सा लेंगी. इन यूनियनों ने सितंबर के महीने में ही देशव्यापी हड़ताल का निर्णय लिया था.

8 जनवरी को भारत बंद क्यों है?

ट्रेड यूनियनें इस बात से भी नाराज हैं कि जुलाई 2015 से अब तक कोई इंडियन लेबर कांफ्रेंस आयोजित नहीं हुई है. इसके अलावा रेलवे और कई PSUs का निजीकरण भी ट्रेड यूनियनों की नाराजगी का कारण हैं. ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा कि सरकार से मंहगाई रोकने, बेरोजगारों को रोजगार देने, रिक्त पदों पर नियमित बहाली, मजदूरों की आर्थिक सुरक्षा व कल्याणकारी कानून बनाने की मांग की गई है.

यूनियनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि लेबर कोड श्रमिकों पर 'गुलामी' थोपने के लिए लाया गया है. वहीं सरकार का कहना है कि श्रमिकों के कल्याण के लिए हर जरूरी कदम उठा रही है. लेबर कोड पर लाए गए कानून उसी दिशा में उठाए गए कदम हैं.  बैंक कर्मचारी और अधिकारियों के बैंक हड़ताल में शामिल होने से बैंकिंग सेवाओं पर काफी असर पड़ सकता है. बुधवार को बैंकों की कई शाखाएं बंद रह सकती हैं. कई स्थानों पर एटीएम सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं. हालांकि ऑनलाइन लेनदेन सामान्य रूप से होगा.

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