
Mumbai BEST Bus Fare Hike: मुंबई की सड़कों पर दौड़ने वाली BEST (बेस्ट) बसों का किराया आज से दोगुना हो गया है. अब यात्रियों को कम से कम ₹10 चुकाने होंगे, जो पहले ₹5 था. ये फैसला मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (MMRTA) द्वारा पास किए गए किराया संशोधन के तहत लिया गया है, और शुक्रवार से लागू हो गया है. बेस्ट की नॉन-एसी बसों के लिए 5 किमी तक का न्यूनतम किराया अब ₹10 हो गया है. पहले ये सिर्फ ₹5 था. वहीं एसी बसों के लिए ये ₹12 कर दिया गया है. दूरी के हिसाब से किराया बढ़ता जाएगा, जिसमें अधिकतम ₹60 तक चुकाने होंगे.
नए ढांचे में अब कुल 10 स्टेज होंगे, 5 किमी से 50 किमी तक, और हर 5 किमी के बाद ₹5 अतिरिक्त किराया लगेगा. 50 किमी से ऊपर हर 5 किमी के लिए फिर ₹5 और जोड़ दिए जाएंगे.
मुंबई में बेस्ट बसों का किराया आज से बढ़ा
VIDEO | Mumbai: The fare of the civic-run BEST buses that run on the city streets has been increased from today with the minimum amount set to double to Rs 10. Visuals from Dadar.
"I can't afford to spend Rs 24-30 daily (on bus fare). The bus fare should continue to be Rs 5. The… pic.twitter.com/BQCS9jrel3
— Press Trust of India (@PTI_News) May 9, 2025
नया किराया (नॉन-एसी)
- 5 किमी तक – ₹10
- 10 किमी – ₹20
- 15 किमी – ₹30
- 20 किमी – ₹35
- 25 किमी – ₹40
- 30 किमी – ₹45
- 35 किमी – ₹50
- 40 किमी – ₹55
- 45 किमी – ₹60
यात्री बोले – जेब पर बढ़ा बोझ
दादर से एक यात्री ने बताया, “मैं रोज़ 24-30 रुपए खर्च नहीं कर सकता. पहले ₹5 में काम चल जाता था. सरकार को सैलरी बढ़ानी चाहिए, बस का किराया नहीं.”
यात्रियों में इस फैसले को लेकर नाराज़गी देखी जा रही है. खासतौर पर उन लोगों को दिक्कत हो रही है जो रोज बस से काम पर आते-जाते हैं.
BEST की मजबूरी
बेस्ट अधिकारियों का कहना है कि ये फैसला आर्थिक संकट से उबरने के लिए लिया गया है. बीते दो सालों में यात्री सेवा से होने वाली कमाई ₹700 करोड़ से भी कम रही है. किराया बढ़ाकर अब हर साल ₹590 करोड़ अतिरिक्त कमाई की उम्मीद की जा रही है.
हालांकि 5 से 12 साल की उम्र के बच्चों के लिए बेस्ट ने फिर से "हाफ टिकट" की सुविधा लागू कर दी है, जिससे उन्हें कुछ राहत मिलेगी.
फ्लीट और सुविधाएं
बेस्ट के पास अभी लगभग 2,800 बसें हैं, लेकिन कई पुरानी बसों को हटाने के कारण बसों की संख्या घट रही है. इसकी वजह से यात्रियों को कम फ्रीक्वेंसी और खस्ताहाल बसों की परेशानी भी झेलनी पड़ रही है.