बैंक हड़ताल से 37 हजार करोड़ रुपये के 38 लाख चेकों की निकासी प्रभावित
सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ चल रही दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल ने लगभग 37,000 करोड़ रुपये के चेक की निकासी को प्रभावित किया है.
चेन्नई, 17 दिसम्बर : सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ चल रही दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल ने लगभग 37,000 करोड़ रुपये के चेक की निकासी को प्रभावित किया है. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने इसकी जानकारी दी है. वेंकटचलम ने कहा, "भारत में तीन चेक क्लियरिंग सेंटर चेन्नई, दिल्ली और मुंबई में हैं. दो दिनों में (गुरुवार और शुक्रवार) लगभग 37,000 करोड़ रुपये के लगभग 38 लाख चेक रुके हुए थे."
वेंकटचलम ने ग्रिड के हिसाब से जानकारी देते हुए कहा कि चेन्नई में करीब 10,600 करोड़ रुपये के करीब 10 लाख चेक, मुंबई में करीब 15,400 करोड़ रुपये के करीब 18 लाख चेक और दिल्ली में 11,000 करोड़ रुपये के करीब 11 लाख चेक का भुगतान नहीं किया गया. उन्होंने कहा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के अलावा, पुरानी पीढ़ी के निजी बैंकों के कर्मचारी और अधिकारी जैसे फेडरल बैंक, कर्नाटक बैंक, करूर वैश्य बैंक, सीएसबी बैंक, साउथ इंडियन बैंक, धनलक्ष्मी बैंक, रत्नाकर बैंक, जम्मू-कश्मीर बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक भी हड़ताल पर थे.
सिटी बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, सोनाली बैंक, बैंक ऑफ अमेरिका और अन्य जैसे विदेशी बैंकों के कर्मचारी भी हालांकि बहुत कम संख्या में हड़ताल पर हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कर्मचारियों और अधिकारियों का एक वर्ग भी हड़ताल पर है. हड़ताल में शामिल नहीं होने के कारण करीब एक लाख बैंक शाखाएं बंद हैं और वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में कुछ अन्य को खुला रखा गया है. हालांकि, उन शाखाओं में कोई लेनदेन नहीं हुआ क्योंकि अन्य कर्मचारी हड़ताल पर थे. हड़ताल का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने किया था, जो कई बैंक यूनियनों की एक संस्था है. यह भी पढ़ें : भूटान ने अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रधानमंत्री मोदी को देने की घोषणा की
वेंकटचलम ने कहा कि हड़ताल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण और संसद के मौजूदा सत्र में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश करने के केंद्र के कदम के खिलाफ है. विधेयक के पारित होने से सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में उनकी इक्विटी पूंजी को 51 प्रतिशत से कम करने में सक्षम होगी और निजी हाथों को उन पर अधिकार करने की अनुमति देगी. केंद्र ने पहले कहा था कि वह अपने दो बैंकों का निजीकरण करेगा.