केंद्र द्वारा निर्धारित लक्ष्य न हासिल करने पर लगातार दूसरी बार पिछड़ा रेलवे
केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित लक्ष्य हासिल करने में नाकाम रहा रेलवे, स्टेशनों का आधुनिकीकरण न होने का चलते निर्धारित लक्ष्य से एक बार फिर रेलवे पिछड़ गया है. केंद्र की मोदी सरकार की ओर से दिए गए संपत्ति मुद्रीकरण लक्ष्य को लगातार दूसरी बार रेलवे हासिल करने में नाकाम दिख रहा है.
नई दिल्ली, 16 मई : केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित लक्ष्य हासिल करने में नाकाम रहा रेलवे, स्टेशनों का आधुनिकीकरण न होने का चलते निर्धारित लक्ष्य से एक बार फिर रेलवे पिछड़ गया है. केंद्र की मोदी सरकार की ओर से दिए गए संपत्ति मुद्रीकरण लक्ष्य को लगातार दूसरी बार रेलवे हासिल करने में नाकाम दिख रहा है. केंद्र ने रेलवे के लिए 57,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन रेलवे केवल 30,000 करोड़ रुपये ही लक्ष्य प्राप्त कर सका. जानकारी के मुताबिक, रेलवे अपने लक्ष्य को इसलिए हासिल नहीं कर पा रहा है, क्योंकि वह निजी क्षेत्र को ट्रेनें चलाने या पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के माध्यम से स्टेशनों का आधुनिकीकरण नहीं कर सका है.
पिछले साल केंद्र सरकार ने राष्ट्रव्यापी संपत्ति मुद्रीकरण के लिए 6 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसमें से रेलवे को 17,810 करोड़ रुपये का टारगेट दिया गया था, लेकिन पिछले साल रेलवे मात्र 800 करोड़ रुपये की ही कमाई कर सका, यानी निर्धारित लक्ष्य का केवल 4.5 प्रतिशत. हालांकि, मिले जुले लक्ष्य की प्राप्ति के लिहाज से भारत सरकार के लिए नतीजे अच्छे रहे, क्योंकि उसने 88000 करोड़ का टारगेट रखा था और उसे 96,000 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हुए. यह भी पढ़ें : MP: गुना पुलिस हत्याकांड में शामिल छोटू पठान की एनकाउंटर में मौत, अब तक 3 आरोपी ढेर
केंद्र ने इस साल के लिए 1.6 लाख करोड़ रुपये के मुद्रीकरण का लक्ष्य रखा है. केंद्र को माइनिंग सेक्टर से बहुत उम्मीदें हैं, जो कि अतिरिक्त संपत्ति मुद्रीकरण में लगातार बड़ा योगदान दे रहा है. केंद्र सरकार ने कोयले और खदानों के लक्ष्य को साढ़े पांच गुना बढ़ाकर - 6,000 करोड़ रुपये से 33,281 करोड़ रुपये कर दिया है. सरकारी सूत्रों के अनुसार सिटी इंफ्रास्ट्रक्च र और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के लिए अभी तक कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया है, हालांकि रिजॉर्ट अशोक जैसी संपत्तियों के पुनर्विकास के प्रस्तावों पर सरकार काम किया जा रहा है.
वित्त मंत्रालय और कैबिनेट सेक्रेटेरिएट दोनों ही रेलवे को लगातार लक्ष्य की ओर ध्यान दिलाते रहे, लेकिन जिस तरह से रेलवे ने प्रदर्शन किया है, उससे दोनों ही विभाग बेहद अचंभे में हैं. रेलवे को प्राइवेट सेक्टर के साथ भागीदारी पर जिस प्रकार से काम करना चाहिए था, वह नहीं हो पा रहा है. रेलवे स्टेशनों के डिवेलपमेंट को लेकर वर्षों से चर्चा चल रही है, लेकिन इस फ्रंट पर अभी तक कुछ ठोस नहीं हो पा रहा है.