सुप्रीम कोर्ट का फैसला, कहा- अयोध्या जमीन विवाद पर 29 अक्टूबर से होगी हर दिन सुनवाई
न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने खुद व प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की ओर से फैसले को पढ़ते हुए कहा, "मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजे जाने का कोई मामला नहीं बनता. न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर ने हालांकि मामले को बड़ी संवैधानिक पीठ के पास भेजे जाने की पैरवी की
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले को बड़ी संवैधानिक पीठ के पास भेजे जाने की याचिका खारिज कर दी है और निर्णय लिया कि नई गठित तीन सदस्यीय पीठ 29 अक्टूबर से मामले की सुनवाई करेगी. इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह मसला अयोध्या मामले से बिल्कुल अलग है. इस मसले पर फैसला आने के साथ ही अब अयोध्या मामले पर जल्द फैसले का रास्ता साफ हो गया है.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने खुद व प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की ओर से फैसले को पढ़ते हुए कहा, "मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजे जाने का कोई मामला नहीं बनता. न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर ने हालांकि मामले को बड़ी संवैधानिक पीठ के पास भेजे जाने की पैरवी की. वहीं बहुमत के फैसले में कहा गया कि नमाज पढ़ना इस्लाम का अटूट हिस्सा नहीं है. अयोध्या मामले को धार्मिक मानने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया है. प्रॉपर्टी डिस्प्यूट (जमीन विवाद ) के तौर इस मामले की सुनवाई तौर पर होगी.
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इस्माइल फारूकी ने अयोध्या में भूमि अधिग्रहण को चुनौती दी थी जिस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि नमाज पढ़ना मस्जिद का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. मुस्लिम समुदाय इससे सहमत नहीं है और वह चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर दोबारा से विचार करे.
मुस्लिम समुदाय यह भी चाहता है कि मुख्य मामले से पहले 1994 के इस फैसले पर सुनवाई हो. SC यदि इस मामले को संविधान की वृहद पीठ के समक्ष भेज देता है तो मुख्य मामले की सुनवाई लंबे समय तक अटक सकती है.