गंभीर अपराधों की जांच में मौके पर ही फोरेंसिक विज्ञान के इस्तेमाल को प्राथमिकता देने का प्रयास : शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय छह साल से अधिक की सजा वाले मामलों से संबंधित अपराध की जांच में मौके पर ही फोरेंसिक विज्ञान के इस्तेमाल को प्राथमिकता देने की कोशिश कर रहा है.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Photo Credits: ANI)

पणजी, 14 अक्टूबर : गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय छह साल से अधिक की सजा वाले मामलों से संबंधित अपराध की जांच में मौके पर ही फोरेंसिक विज्ञान के इस्तेमाल को प्राथमिकता देने की कोशिश कर रहा है. दक्षिण गोवा में एक राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के परिसर के लिए एक शिलान्यास समारोह में बोलते हुए, शाह ने यह भी कहा कि गलत काम करने वालों को न्याय के दायरे में लाया जा सकता है और जांच में फोरेंसिक विज्ञान के बेहतर उपयोग के साथ ही दोषसिद्धि अनुपात को बढ़ाया जा सकता है. शाह ने कहा, "हम यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रहे हैं कि फोरेंसिक विज्ञान दल अनिवार्य रूप से सभी अपराध (²श्यों) तक पहुंचें, जहां सजा छह साल से अधिक है. अगर हमें ऐसा करना है तो देश भर के 600 से अधिक जिलों में एक फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, चाहे वह छोटी ही क्यों न हो, एक मोबाइल फोरेंसिक वैन के साथ स्थापित करनी होगी."

उन्होंने कहा, "अगर हमें ऐसा करना है तो हमें 30,000 से 40,000 फोरेंसिक वैज्ञानिकों की जरूरत होगी. हम उन्हें कहां से लाएंगे? एक तरफ बेरोजगारी है, दूसरी तरफ कुशल जनशक्ति नहीं है. अगर हमें इसे पाटना है, तो शिक्षा कौशल के साथ आगे का रास्ता है, यही कारण है कि हम फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना कर रहे हैं." उन्होंने यह भी कहा कि जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, दुनिया का पहला फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय शुरू करना उनकी प्राथमिकता रही है. यह भी पढ़ें : दिल्ली में 9 साल के बच्चे के अपहरण और हत्या के आरोप में 2 गिरफ्तार

शाह ने कहा, "गलती करने वाले को तभी न्याय के कटघरे में लाया जा सकता है, जब दोषसिद्धि का अनुपात बढ़ जाए और जब व्यक्ति आश्वस्त हो जाए कि वह लंबे समय तक जेल में रहेगा. यह तभी हो सकता है जब सजा की दर अधिक हो." शाह ने आगे कहा, "यह तभी हो सकता है, जब अभियोजक के हाथ में वैज्ञानिक साक्ष्य हों. यह अवधारणा हमारे देश में आई गई थी, यहां तक कि प्रयोगशालाएं भी खुल गईं, लेकिन जनशक्ति की इतनी कमी थी कि मामले खिंचते जा रहे थे."

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