Assam: हिमंत बिस्वा सरमा का कड़ा फैसला, हाईकोर्ट की सख्ती के बावजूद, असम में बुलडोजर का चलन बढ़ाया
असम को घरों पर बुलडोजर चलने, बड़े पैमाने पर बेदखली और बहुमंजिला इमारतों को घंटों के भीतर धराशायी होते देखने की आदत नहीं थी. लेकिन हिमंत बिस्वा सरमा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद परिदृश्य नाटकीय रूप से बदल गया है.
गुवाहाटी, 12 मार्च: असम (Assam) को घरों पर बुलडोजर चलने, बड़े पैमाने पर बेदखली और बहुमंजिला इमारतों को घंटों के भीतर धराशायी होते देखने की आदत नहीं थी. लेकिन हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद परिदृश्य नाटकीय रूप से बदल गया है. असम में बुलडोजर चलाना आजकल आम बात हो गई है. बेदखली की खबरों ने मीडिया में नियमित रूप से जगह बना ली है. यह भी पढ़ें: Assam: पीट-पीटकर हत्या करने वाले 11 को आजीवन कारावास
हालांकि 'बुलडोजर-ट्रेंड' को लेकर पहले ही काफी विवाद छिड़ चुका है, लेकिन हाईकोर्ट द्वारा इन कदमों की कड़ी आलोचना किए जाने के बाद भी राज्य सरकार हार मानने के मूड में नहीं है. सरमा ने इसे कई बार दोहराया है कि उनकी मशीनरी तब तक नहीं रुकेगी जब तक कि हर अवैध कब्जे वाले क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त नहीं कर दिया जाता. भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (एक्यूआईएस) और बांग्लादेश स्थित आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के साथ कथित संबंधों को लेकर निचले असम में कुछ निजी मदरसों को ध्वस्त कर दिया गया.
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के नेता व लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अजमल ने मदरसों के खिलाफ विध्वंस अभियान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था, मदरसे सार्वजनिक संपत्ति हैं, जिन पर बिना किसी कानूनी नोटिस के बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता है. उत्तर में योगी आदित्यनाथ सरकार भी प्रदेश ने बुलडोजर का इस्तेमाल बंद कर दिया है. अधिकारियों ने कहा कि मदरसों को तोड़ना पड़ा, क्योंकि उनका निर्माण भवन निर्माण के नियमों का उल्लंघन कर किया गया था. सितंबर, 2021 में, धौलपुर क्षेत्र में एक बेदखली अभियान के दौरान डारंग जिले के पुलिस अधिकारियों और सिपाझार राजस्व मंडल के गोरुखुटी के स्थानीय लोगों के बीच हिंसक झड़प हुई, इसके परिणामस्वरूप पुलिस फायरिंग हुई.
इस घटना में कम से कम दो प्रदर्शनकारी मारे गए और बारह अन्य घायल हो गए. असम के नागांव जिले के अधिकारियों ने पिछले साल मई में बटाद्रवा पुलिस स्टेशन में आग लगाने के आरोप में कई परिवारों के घरों को नष्ट कर दिया था.
पुलिस और प्रशासन ने यह कदम तब उठाया जब एक स्थानीय मछली विक्रेता की हिरासत में मौत के कथित मामले के जवाब में भीड़ ने जिले के बटाद्रवा पुलिस स्टेशन में आग लगा दी. बाद में, गौहाटी उच्च न्यायालय ने बटाद्रवा पुलिस थाना आगजनी मामले में अभियुक्तों के घरों पर बुलडोजर के इस्तेमाल से जुड़े मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए असम सरकार को फटकार लगाई.
कोर्ट ने राज्य सरकार से बुलडोजर के इस्तेमाल के कानूनी आधार पर सवाल किया था. अदालत ने तब सरकार के वकील से कहा, आप (राज्य सरकार) हमें कोई आपराधिक कानून दिखाएं, इसके तहत पुलिस किसी अपराध की जांच करते समय किसी व्यक्ति को बिना किसी आदेश के बुलडोजर से उखाड़ सकती है.
बेंच के दो जजों ने यह भी कहा, अगर इस तरह की कार्रवाई की अनुमति दी जाती है, तो देश में कोई भी सुरक्षित नहीं है. सरकार को कोर्ट को भरोसा दिलाना था कि आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने वाले अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी. हालांकि, ये सभी असम सरकार की मशीनरी को बुलडोजर चलाने से नहीं रोक सके. पिछले हफ्ते भी, कछार जिले में, प्रशासन द्वारा घरों को तोड़ दिया गया था, हालांकि निवासियों ने दावा किया था कि उनके पास भवनों के लिए 'उचित' दस्तावेज थे, लेकिन कागजात को सत्यापित किए बिना घरों को तोड़ दिया गया था.