White Fungus: ब्लैक फंगस के बाद अब देश में बढ़ रहा व्हाइट फंगस का खतरा- जानिए क्यों है ज्यादा खतरनाक
कोविड वार्ड (Photo Credits: PTI)

कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के बीच देश में अब ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) के कई मामले सामने आ रहे हैं, जिस वजह से सरकार की चिंता बढ़ गई है. उधर, ब्लैक फंगस (Black Fungus) से भी ज्यादा खतरनाक व्हाइट फंगस (White Fungus) के मामले मिलने से स्थिति और गंभीर हो गई है. बिहार (Bihar) की राजधानी पटना (Patna) में व्हाइट फंगस से पीड़ित चार मरीजों की पुष्टी हुई है. संक्रमित मरीजों में एक पटना का मशहूर डॉक्टर भी शामिल है. ब्लैक फंगस : मध्य प्रदेश में कोविड-19 रोगियों की नेज़ल एंडोस्कोपी की जाएगी

व्हाइट फंगस को ब्लैक फंगस (Mucormycosis) से ज्यादा घातक माना जाता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, सफेद कवक (White Fungus) संक्रमण काले कवक संक्रमण से (Black Fungus Infection) अधिक खतरनाक है क्योंकि यह फेफड़ों के साथ-साथ शरीर के अन्य भागों जैसे नाखून, त्वचा, पेट, गुर्दे, मस्तिष्क, निजी अंगों और मुंह को प्रभावित करता है.

डॉक्टरों ने कहा कि व्हाइट फंगस भी फेफड़ों को संक्रमित करता है. इसमें भी कोविड-19 जैसा ही संक्रमण होता है और संक्रमित मरीज का एचआरसीटी (HRCT) करने पर पता चलता है.

बिहार में 50 के आसपास ब्लैक फंगस के मरीज है. जबकि कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस से 90 से ज्यादा की मौत हुई है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में इस जानलेवा फंगस के कई मामले सामने आये है. असम में बुधवार को एक निजी अस्पताल में कोरोना वायरस संक्रमित एक मरीज की ब्लैक फंगस संक्रमण के कारण मौत हो गयी.

क्या है म्यूकोरमिकोसिस

म्युकोरमाइकोसिस को ब्लैक फंगस के नाम से भी जाना जाता है. कोविड-19 के नए म्यूटेंट वायरस के कुछ अन्य लक्षण देखने को मिल रहे हैं. इनमें से ही एक 'म्यूकोरमिकोसिस' बीमारी चर्चा में है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार ये एक एक तरह की 'फंगस' या 'फफूंद' होती है, जो प्राय: उन लोगों को होती है जिनकी कोरोना से इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है या जो किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण दवाइयां ले रहे हैं और इन दवाइयों की वजह से उनकी इम्यूनिटी या शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है.

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल के अनुसार, ये इन्फेक्शन ‘म्यूकर’ नाम के फंगस की वजह से होता है और इसलिए हम इसे ‘म्यूकोरमिकोसिस’ कहते हैं. डॉ. पॉल बताते हैं, “ये बहुत हद तक डायबिटीज के मरीजों में पाया जाता है, अगर किसी को डायबिटीज की बीमारी नहीं है तो बहुत कम चांस है कि इसका सामना करना पड़े. यह एक क्यूरेबल डिजीज है.”

म्यूकोरमिकोसिस के क्या है लक्षण

हाल ही में आईसीएमआर ने म्यूकर माइकोसिस की टेस्टिंग और इलाज को लेकर एडवाइजरी जारी की है. इसमें इसके लक्षण, बचाव और उपाय की बात की है. अगर किसी को आंखों और नाक में दर्द होने जैसी शिकायत है या उसके आसपास की जगह लाल हो गई है, बुखार, सिर दर्द, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, इसके साथ संक्रमित व्यक्ति को खून की उल्टियां इत्यादि की समस्या है तो हो सकता है वह म्यूकर माइकोसिस की वजह से हो. एडवाइजरी में बचाव को लेकर कहा गया है कि धूल भरी जगह पर जाएं तो उससे पहले मास्क जरूर पहनें. शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े और जूते पहनें.

ब्लैक फंगस की चपेट में आने का क्या है कारण

ब्लैक फंगस ज्यादातर मधुमेह रोगी प्रभावित होते हैं, लेकिन वर्तमान में कोरोना संक्रमित रोगियों के ठीक होने के बाद उनमें यह रोग पाया जा रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल पहले से ही उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मतलब इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ब्लैक फंगस होती है.

कैसे होता है इलाज

ऐसे में देखा जा रहा है कि 'एम्फोटेरिसिन बी' दवा म्यूकोरमिकोसिस से पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए कारगर साबित हो रही है. जिसके चलते सरकार ने फंगल रोधी दवाई एम्फोटेरीसीन-बी का उत्पादन बढ़ा दिया है.