Aditya-L1 Mission: सूर्य मिशन की तैयारियां हुईं तेज, ISRO ने जारी की आदित्य-एल1 की तस्वीरें; आप भी देखें ये PHOTOS

इसरो ने एक्स पर किए एक पोस्ट में कहा, ;PSLV-C57/Aditya-L1 Mission के लॉन्चिंग की तैयारी चल रही है. लॉन्च रिहर्सल और वाहन की आंतरिक जांच पूरी हो गई है.'

Aditya-L1 Mission | ISRO

बेंगलुरु: ISRO अपने सूर्य मिशन के लिए पूरी तरह तैयार है. Aditya-L1 Mission की लॉन्चिंग की तारीख पास आते देख इसरो ने तैयारियां तेज कर दी हैं. ISRO ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए इस मिशन से जुड़ा नया अपडेट शेयर किया है. इसरो ने पोस्ट में कहा कि लॉन्च को लेकर हम पूरी तरह तैयार हैं. इसरो ने एक्स पर किए एक पोस्ट में कहा, ;PSLV-C57/Aditya-L1 Mission के लॉन्चिंग की तैयारी चल रही है. लॉन्च रिहर्सल और वाहन की आंतरिक जांच पूरी हो गई है.' Aditya-L1 को 2 सितंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाना है. Aditya-L1 Mission: सूरज के कितने पास जाएगा आदित्य-एल1? कहां है वह जगह जहां से ISRO करेगा सूर्य का अध्यन.

सूर्य के व्यापक अध्ययन और अवलोकन के लिए इसे एल1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से सूर्य की ओर 15 लाख किलोमीटर दूर है. आदित्य-एल1 मिशन, जिसका लक्ष्य एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है, विभिन्न वेबबैंड्स में फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परत) का निरीक्षण करने के लिए अपने साथ 7 पेलोड ले जाएगा.

Aditya-L1 की तस्वीरें यहां देखें 

धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर तक का सफर 

आदित्य एल-1 को पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष के एक हिस्से हेलो ऑर्बिट में छोड़ा जाएगा. इससे यह लगातार सूरज की निगरानी कर सकेगा. इसरो ने बताया, "यह सौर गतिविधियों और अंतरिक्षीय मौसम पर इसके असर का निरीक्षण करने के लिए ज्यादा अनुकूल स्थिति देगा."

इस अभियान के कई लक्ष्यों में से एक अंतरिक्ष के मौसम का अध्ययन भी है. इससे पहले नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी भी सूर्य के अध्ययन के लिए ऐसे ऑबिटर्स भेज चुके हैं. लेकिन भारत के लिए यह पहला ऐसा अभियान होगा.

सूर्य के तापमान के रहस्य को सुलझाएगा आदित्य-एल1

सामान्य स्थिति में जब आप आग के केंद्र से दूर होते जाते हैं, तो ताप घटता है. लेकिन सूरज के मामले में ऐसा नहीं है. सूरज की सतह का तापमान 10 हजार फारेनहाइट है. और इसके ऊपरी वातावरण, जिसे कोरोना कहा जाता है, का तापमान 200 से 500 गुना तक ज्यादा है.

लंबे समय से खगोलशास्त्री यह पहेली सुलझाने में लगे हैं कि कोरोना इतना गरम क्यों है. कई शोधकर्ता मानते हैं कि शायद कोरोना कई अलग-अलग तरीके से तपता है. मतलब ऐसा हो सकता है कि सूरज से उठने वाली प्लाज्मा वेव्स ऊपर उठकर कोरोना तक पहुंचती हों और अपनी ऊर्जा वहां जमा कर देती हों.

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