AES: बिहार में फिर पांव पसार रहा चमकी बुखार, मुजफ्फरपुर में 1 बच्चे की मौत, कई बीमार
कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते संक्रमण के बीच बिहार (Bihar) में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) एक बार फिर पांव पसार रहा है. मिली जानकरी के मुताबिक राज्यभर में एईएस (Acute Encephalitis Syndrome) यानी जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) की चपेट में कई मासूम आ चुके है.
पटना: कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते संक्रमण के बीच बिहार (Bihar) में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) एक बार फिर पांव पसार रहा है. मिली जानकरी के मुताबिक राज्यभर में एईएस (Acute Encephalitis Syndrome) यानी जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) की चपेट में कई मासूम आ चुके है. जबकि एक बच्चे की मौत भी हुई है. जिससे राज्य में मौजूद स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल खड़े होने लगे है.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक इस साल एईएस (AES) से पीड़ित अब तक छह बच्चों को मुजफ्फरपुर के श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में भर्ती कराया गया है. रिपोर्टों में बताया गया है कि छह बच्चों में से तीन का इलाज चल रहा है और दो बच्चों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. वहीं, एक बच्चे की मौत हो गई है. Coronavirus: बिहार में कोरोनो वायरस संक्रमण मामलों की संख्या बढ़कर 30 हुई
साल 2019 में बिहार एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के प्रसार के चलते सुर्खियों में आ गया था. राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा 20 जून को जारी एक बयान में बताया गया कि बिहार के 16 जिलों में मस्तिष्क ज्वर से 625 से अधिक बच्चे प्रभावित हुए. जिनमें से 136 की मौत हो गई. मुजफ्फरपुर जिले में सबसे अधिक अब तक 117 की मौत हुई. इसके अलावा भागलपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, सीतामंढी और समस्तीपुर में बच्चों की जान गई थी.
रिपोर्टें बताती हैं कि जापानी इंसेफेलाइटिस और स्थानीय भाषा में चमकी बुखार कहे जाने वाले एईएस लीची फल के कारण फैलता है. कुपोषण, जलवायु, स्वच्छता, अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं, और जागरूकता की कमी से बीमारी चरम पर पहुंचती है.