Genius Film Review: बोरियत से भरी है अनिल शर्मा की ये फिल्म, दो जीनियसों के बीच फंसी है फिल्म की कहानी
अनिल शर्मा अपनी इस फिल्म के साथ काफी समय बाद बॉलीवुड में बतौर निर्देशक लौट रहे हैं. इसी के साथ ये फिल्म से उनके बेटे उत्कर्ष शर्मा बॉलीवुड में डेब्यू कर रहे हैं
रेटिंग्स: 2 स्टार्स
कास्ट: उत्कर्ष शर्मा, इशिता चौहान, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, मिथुन चक्रवर्ती, अभिमन्यू सिंह, और आयशा झुलका
निर्देशन: अनिल शर्मा
अनिल शर्मा एक बार फिर निर्देशक की चेयर पर जोरों शोरों के साथ लौट रहे हैं. इस बार फिल्म ‘जीनियस’ के साथ बॉलीवुड में लौटना उनके लिए बेहद खास है क्योंकी इस फिल्म के माध्यम से वो अपने बेटे उत्कर्ष शर्मा को बॉलीवुड में इंट्रोड्यूस कर रहे हैं. इस फिल्म में उत्कर्ष शर्मा के साथ एक्ट्रेस इशिता चौहान लीड रोल में हैं. इशिता, संगीतकार हिमेश रेशमिया की फिल्म ‘आपका का सुरूर’ में बतौर बाल कलाकार नजर आईं थी और अब इस बार वो बॉलीवुड में पूरी तरह से कदम रखने को तैयार हैं. ये फिल्म मारधाड़, एक्शन और देशभक्ति से जुड़ी है जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दी नेगेटिव रोल में है.
कहानी: ये फिल्म दो ऐसे जीनियसों के बीच घूमती है जो जिंदगी में अपने-अपने मकसद लेकर चल रहे हैं. पहले जीनियस हैं उत्कर्ष शर्मा जोकि वेद और विज्ञान दोनों के ही ग्यानी हैं. फिल्म में वृंदावन से आनेवाले उत्कर्ष धर्म से जुड़े हुए हैं और साथ ही मॉडर्न सोसाइटी में भी सरलता से ढले हुए नजर आ रहे हैं. फिल्म में उत्कर्ष की बुधिमत्ता के चलते उन्हें देश की सिक्यूरिटी एजेंसी रॉ का हिस्सा बनाया जाता है. वो हर बार देश को बड़ी से बड़ी मुसीबतों से बचाते हैं और सरकार की समय-समय पर मदद करते हैं. फिल्म में इशिता दत्ता उनकी प्रेमिका की भूमिका में हैं जो उनसे कॉलेज के दिनों में मिलती हैं और उसी समय उत्कर्ष उनसे अपने प्यार का इजहार भी कर देते हैं. दिखाया गया है कि रॉ के लिए काम कर रहे उत्कर्ष आतंकवादियों के मसूबों को रोकने के लिए एक मिशन पर निकलते हैं जहां वो हार जाते हैं और उनकी पूरी टीम तबाह कर दी जाती है. इसी के साथ वो जीवित तो बचते हैं लेकिन उन्हें कई सारी शारीरिक तकलीफें होती हैं जिसके चलते उन्हें रॉ से बर्खास्त कर दिया जाता है. लेकिन फिर भी वो उस मिशन को सुलझाने में लगे रहते हैं जिसके चलते उन्हें मानसिक बीमारी भी हो जाती है और वो बार बार अपने मृत साथियों को देखने लगते हैं. उनकी इस हालत के चलते उनकी इशिता बेहद परेशान रहती हैं और उन्हें इससे बाहर निकालने में जुटी रहती हैं. फिल्म में मिथुन चक्रवर्ति रॉ के प्रमुख अफसर की भूमिका में हैं.
वहीं नवाजुद्दीन सिद्दकी इस फिल्म के दूसरे जीनियस तो है लेकिन उनके मंसूबे बेहद गलत हैं और वो देश हित नहीं देश के प्रति द्रोह की भावना से काम काम कर रहे हैं. फिल्म में वो नेगेटिव रोल में हैं और भारत में रहकर आतंकवादी संगठन के लिए काम कर रहे हैं. उनके और उत्कर्ष के बीच कई बार जानलेवा खेल होता है और ये अंत तक इसी तरह से चलता रहता है. फिल्म की कहानी आपको एक टिपिकल हिंदी फिल्म देखने का एहसास कराएगी.
अभिनय: फिल्म में लीड रोल में होने के चलते उत्कर्ष शर्मा पर पूरा फोकस रखा गया है. यहां उन्होंने अपनी एक्टिंग और अपने एक्सप्रेशन्स से दर्शकों का दिल जीतने की पूरी कोशिश की है. फिल्म में उनके डायलॉग्स और उनका प्रेजेंस बढ़िया है. लेकिन उनका काम देखकर आपको यकीन हो जाएगा कि एक्टिंग के मामले में उन्हें अभी और मेहनत करने की जरूरत है. बात करें इशिता चौहान की तो फिल्म में वो हर जगह खूबसूरत नजर तो आ रही हैं लेकिन उनमें एक्टिंग को लेकर अभी कई कमियां दिखाई देती हैं. फिर चाहे वो एक्सप्रेशन्स हो या इमोशनल सीन्स, उसे निभाने के लिए उनमें वो स्किल की कमी नजर आती है. अगर यहां आपको किसी का काम पसंद आएगा तो वो हैं नवाजुद्दीन सिद्दीकी. जिस तरह से इंटेंस सीन को भी वो कॉमिक बना देते हैं वो काबिल-ए-तारीफ है. उनकी हर फिल्म की तरह इस फिल्म में भी उनका अंदाज जबरदस्त है. फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती के कुछ ही चुनिंदा सीन्स हैं. यहां वो एक स्ट्रिक्ट और अनुशासन प्रिय व्यक्ति की भूमिका में है जोकि उन्होंने काफी बेहतर ढंग से निभाया. जिस तरह से फिल्म इंडस्ट्री में वो वरिष्ठ कलाकार हैं उसी तरह से इस फिल्म में भी उनकी वरिष्ठता देखने को मिलती है.
निर्देशन: फिल्म के निर्देशन की बात करें तो इसकी अपनी खामियां है तो वहीं खूबियां भी हैं. फिल्म के लोकेशन्स काफी बढ़िया हैं. फिल्म की कहानी काफी कॉम्प्लेक्स लेकिन अनिल शर्मा ने इसे एक परफेक्ट कहानी में पिरोह कर पेश करने की अपनी पूरी कोशिश की है. फिल्म की लेंथ की बात करें तो इसकी कहानी को काफी हद तक विस्तृत किया गया है जिसके चलते आप बीच में कहीं बोर भी महसूस करेंगे. इसे कम से कम सीन्स में भी पेश किया जा सकता था. फिल्म को अच्छे और दमदार डायलॉग्स की जरूरत थी जो कि यहां मौजूद नहीं है. हालांकि यहां नवाजुद्दीन सिद्दीकी के कुछ डायलॉग्स बेहद इंटरटेनिंग है. बात करें ओवर ऑल इस फिल्म की तो इसमें कई सारे ट्विस्ट्स हैं और एक समय के बाद आप इनके चलते बोर भी हो जाएंगे.
म्यूजिक: फिल्म का म्यूजिक इसकी खासियत है. हिमेश रेशमिया द्वारा दिया गया इस फिल्म का संगीत बेहद खूबसूरत है. फिल्म के गाने और इसके बोल इसकी कहानी से ज्यादा बेहतर हैं. देखा जाए तो आप इस फिल्म के म्यूजिक को एंजॉय करेंगे.
पूर्ण रूप से इस फिल्म को लेकर बात की जाए तो अनिल शर्मा की ये फिल्म आपको सनी देओल के किसी एक्शन फिल्म की याद दिलाएगी. फिल्म में एक्शन और संगीत तो है लेकिन इसकी कहानी में वो दम नहीं जिसकी हमें अनिल शर्मा की फिल्मों से उम्मीद होती है. इसी के साथ इस फिल्म में लीड एक्टर्स की परफॉर्मेंस में वो बात नहीं है जो आपको इन्हें दोबारा देखने पर मजबूर करे. हालांकि अगर आपको बॉलीवुड मसाला फिल्मों का शौक है तो इस फिल्म को आप एंजॉय करेंगे. फिल्म में आप हर जगह लॉजिक की उम्मीद ना ही करें तो अच्छा है. ये फिल्म अपनी कहानी और परफॉर्मेंस में मायने में कमजोर नजर आती है.