Dhadak Film Review: जाह्नवी और ईशान ने दिया शानदार परफॉर्मेंस, लेकिन 'सैराट' के दर्शक हो सकते हैं निराश
क्या ईशान खट्टर और जाह्नवी कपूर की ये फिल्म दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बना पाएगी? फिल्म को देखने से पहले इसका ये रिव्यु जरूर पढ़ें
श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर की डेब्यू फिल्म 'धड़क' को रिलीज होने में कुछ ही पल रह गए हैं. इस फिल्म में जाह्नवी के साथ ही ईशान खट्टर लीड रोल में नजर आ रहे हैं. मराठी फिल्म 'सैराट' की इस हिंदी रीमेक का दर्शक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. फिल्म को लेकर जहां जोरों शोरों से प्रमोशन किया गया वहीं सभी को इस फिल्म से काफी उम्मीदें हैं. ऐसे में हम आपके लिए इस फिल्म का स्रिव्यु लेकर आए हैं. इस फिल्म में आपको कॉमेडी, रोमांस, ड्रामा और थ्रिल का भरपूर अनुभव होगा.
कहानी: जैसा कि आप जानते हैं ये एक लव स्टोरी पर आधारित फिल्म है. इसकी कहानी उदयपुर में सेट की गई है. फिल्म में ईशान का परिवार एक आम इंसान की तरह आपना गुजारा करता है. ईशान के पिता का उदयपुर में एक होटल है जिसे वो अपने परिवार के साथ मिलकर चलाते हैं. वहीं दूसरी ओर जाह्नवी का परिवार एक ऊंचे खानदान से है. फिल्म में आशुतोष राणा, जाह्नवी के पिता का किरदार निभा रहे हैं. यहां वो एक ऐसे पॉलिटिशियन की भूमिका निभा रहे हैं जो अपनी सफलता के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है. फिल्म की शुरुआत के हिस्सों में जाह्नवी और ईशान का मिलन दिखाया गया. जाह्नवी और ईशान एक दूसरे से अपने प्यार का इजहार करते हैं और एक दूसरे के काफी करीब आ जाते हैं. इसी समय जाह्नवी के परिवार को इस बात का पता चलता है और यही से फिल्म की कहानी करवट लेती है. अपने प्यार को बचाने की खातिर ये दोनों किसी तरह उदयपुर से भाग निकलते हैं और फिर अपने गुजारे और रहने की जगह के लिए दर-दर भटकते हैं.
फिल्म का अगला हिस्सा ईशान और जाह्नवी के संघर्ष को दर्शाता है. अपने परिवार से दूर, डरे सहमे से ईशान और जाह्नवी के प्यार की परीक्षा होती है जब ये दोनों एक दूसरे के साथ अपनी जिंदगी शुरू करते हैं. इसी दौरान इन दोनों का आपस में अनबन भी होता है लेकिन अंत में ये एक दूसरे को संभाल लेते हैं. फिल्म के अंत का सीन ऐसा है जो आपको झंझोड़ कर रख देगा.
अभिनय: इस फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू करने वालीं जाह्नवी कपूर का काम काफी हद तक सराहनीय है. फिल्म में कुछ ऐसे इंटेंस सीन्स हैं जहां जाह्नवी के एक्सप्रेशंस और इमोशंस आपके दिल को छू लेंगे. देखा जाए तो अपनी पहली फिल्म में इस तरह का परफॉर्मेंस वाकई काबिल-ए-तारीफ है. वहीं दूसरी ओर बात करें ईशान खट्टर के काम की तो एक बार फिर उनका अभिनय आपको खुश कर देगा. फिल्म में एक तरफ जहां वो अपनी मासूमियत से अपने किरदार में ढले हुए हैं वहीं दूसरी ओर कुछ सीन्स ऐसे हैं जहां वो काफी सख्त मिजाज में नजर आ रहे हैं. फिल्म में नेगेटिव रोल में नजर आ रहे आशुतोष राणा भी अपने एक्सप्रेशन से कमाल का अभिनय और डायलॉग डिलीवरी करते नजर आ रहे हैं.
निर्देशन: शशांक खेतान ने इस फिल्म को बेहतर से भी बेहतर बनाने में अपनी पूरी कोशिश की है. फिल्म में दिखाए गए लोकेशन्स और इसकी सिनेमेटोग्राफी भी बढ़िया हैं. फिल्म का पहला हिस्सा जहां खूबसूरती से आगे बढ़ता है वहीं अंतराल के बाद मानों इसकी कहानी तेजी से आगे बढ़ रही है. हालांकि फिल्म में कुछ जगह ऐसे सीन्स है जिसे देखकर आपको लगेगा कि ये और भी बेहतर हो सकती थी. जाहिर सी बात है कि इस फिल्म की तुलना नागराज मंजुले की फिल्म 'सैराट' से तो जरूर होगी. अगर आप सैराट जैसी उम्मीदें लेकर जा रहे हैं तो आप थोड़े निराश जरूर हो सकते हैं. लेकिन इस बात को ताटाला नहीं जा सकता है कि शशांक खेतान ने अपने तरीके से फिल्म की कहानी को बयां किया है और ये आपको इसे आगे देखने के लिए मजबूर भी करेगी.
म्यूजिक: 'सैराट' की तरह ही इस फिल्म का म्यूजिक भी अजय-अतुल की म्यूजिकल जोड़ी ने दिया है. इसका संगीत भी बढ़िया है. लेकिन कुछ गाने ऐसे हैं जहां ये बात साफ झलकती है इसके बोल को म्यूजिक के साथ एडजस्ट करने की कोशिश की गई है. अगर आपने सैराट' का म्यूजिक नहीं सुना है और आप पहली बार इसके गाने सुन रहे हैं तो बेशक आप इसके संगीत को महसूस भी करेंगे और एंजॉय भी.
फिल्म रेटिंग: फिल्म में ईशान और जाह्नवी की शानदार परफॉर्मेंस को मद्दे नजर रखते हुए हम इस फिल्म को 3.5 स्टार्स देंगे. जैसा कि हमने कहा कि फिल्म के कुछ अहम सीन्स हैं जिन्हें और भी बेहतर और नेचुरल बनाया जा सकता था, अगर इं पहलुओं पर काम किया जाता और ये और बढ़िया बनकर सामने आती. ओवरऑल कहें तो ये फिल्म बेशक एक आपको एक बार जरूर देखनी चाहिए.