Paltan Movie Review : देशभक्ति पर बनी अर्जुन रामपाल की इस फिल्म को देखने से पहले जरुर पढ़ें हमारा रिव्यू

1962 में चीन और भारत के बीच हुए युद्ध के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन जेपी दत्ता ने फिल्म 'पलटन' में एक ऐसी कहानी के बारे में बताया है जिसका जिक्र अभी तक काफी कम हुआ है. इस बार उन्होंने बड़े पर्दे पर 1967 में भारत और चीन के बीच हुए युद्ध को दर्शाया है

Paltan Movie Review : देशभक्ति पर बनी अर्जुन रामपाल की इस फिल्म को देखने से पहले जरुर पढ़ें हमारा रिव्यू
फिल्म 'पलटन' का रिव्यू

1962 में चीन और भारत के बीच हुए युद्ध के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन जेपी दत्ता ने फिल्म 'पलटन' में एक ऐसी कहानी के बारे में बताया है जिसका जिक्र अभी तक काफी कम हुआ है. इस बार उन्होंने बड़े पर्दे पर 1967 में भारत और चीन के बीच हुए युद्ध को दर्शाया है. जेपी दत्ता इससे पहले 'बॉर्डर' और 'एलओसी करगिल' जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं. अगर 'बॉर्डर' से तुलना की जाए तो पलटन थोड़ी फीकी पड़ती है. हालांकि, फिल्म के कुछ दृश्यों को बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया है. वे सीन्स आपके अंदर भी देशभक्ति की भावना को जगाएंगे. देश की रक्षा करने के लिए सोल्जर्स अपना घर छोड़कर सीमा पर तैनात रहते हैं और उन्हीं की वजह से हम चैन की नींद सो पाते हैं. इस इमोशन को जेपी दत्ता ने बखूबी दर्शाया है पर पलटन देखते वक्त कई बार आपको ऐसा लगेगा कि यह फिल्म जेपी दत्ता की अभी तक की सबसे कमजोर वॉर फिल्म है. सबसे पहले तो फिल्म की पेस काफी स्लो है. इसके अलावा सपोर्टिंग कास्ट का काम भी उतना अच्छा नहीं है. फिल्म के अंत में दिखाया गया वॉर सीक्वेंस काफी अच्छा है. पूर्ण रूप से देखा जाए तो यह एक एवरेज फिल्म साबित होती है.

कहानी : - भारत चीन से 1962 का युद्ध हार चुका है. यह सन 1967 की कहानी है. अब चीन की नजरें भारत के सिक्किम राज्य पर है. सिक्किम पर कब्ज़ा जमाने के लिए चीन नाथुला पास पर कब्जा करना चाहता है. चीनी फ़ौज जल्द से जल्द लड़ाई कराने की इच्छुक हैऔर इसके लिए वह भारतीय सेना को किसी न किसी तरह से उक्साने की कोशिश करती रहती हैं. इसके बाद भारतीय फ़ौज सीमा पर फेंसिंग लगाने का फैसला लेती है. जब चीनी इसका विरोध करते हैं, तब इंडियन आर्मी बॉर्डर पर तारे लगाने का निर्णय लेती है. अंत में दोनों फ़ौज के बीच दिखाया गया वॉर सीक्वेंस काफी शानदार है. यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है.

अभिनय : हर्षवर्धन राणे ने अपने किरदार मेजर हरभजन सिंह को बखूबी निभाया है. अर्जुन रामपाल ने लेफ्टिनेंट कर्नल राय सिंह और सोनू सूद ने मेजर बिशन सिंह के किरदार के साथ न्याय किया है. गुरमीत चौधरी का अभिनय भी काबिले तारीफ है. बाकी एक्टर्स अपने किरदार के द्वारा इम्पैक्ट डालने में असफल हुए हैं.

निर्देशन :- जेपी दत्ता की 'पलटन' से बहुत सी उम्मीदें लगाई जा रही थी पर उनकी और फिल्मों के मुकाबले में यह फिल्म थोड़ी कमजोर है. हालांकि, उन्होंने कुछ दृश्यों को बखूबी फिल्माया है. अगर आपको देशभक्ति पर बनी फ़िल्में देखने का शौक है, तो आप 'पलटन' को एक बार तो देख ही सकते हैं. यह फिल्म आपको बोर नहीं करेगी.

म्यूजिक : - इस फिल्म में सोनू निगम ने दो गाने गाए हैं - 'रात कितनी' और 'मैं जिंदा हूं'. दोनों ही गाने काफी अच्छे हैं. बाकी सॉन्ग उतने प्रभावशाली नहीं है.

फिल्म की खूबियां : -

1. हर्षवर्धन राणे का दमदार अभिनय

2. अंत में दिखाया गया वॉर सीक्वेंस

फिल्म की खामियां : -

1.सपोर्टिंग कास्ट का साधारण काम

2. स्लो पेस

कितने स्टार्स ?

पूरी तरह से देखा जाए तो यह एक एवरेज फिल्म साबित होती है. फिल्म के अंत में संदेश दिया जाता है कि , "भारत का राष्ट्रीय ध्वज हवा की वजह से नहीं लहराता है बल्कि वह उन सैनिकों की सांसो से लहराता है जिन्होंने हमारे देश के लिए कुर्बानी दी है." जेपी दत्ता की इस फिल्म को हम 2.5 स्टार्स देना चाहेंगे."

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