Black Warrant Review: दमदार अभिनय और सच्ची घटनाओं के साथ तिहाड़ की क्रूर हकीकत को उजागर करती 'ब्लैक वारंट'!

‘ब्लैक वारंट’ एक ऐसी वेब सीरीज़ है, जो भारत की सबसे बड़ी जेल, तिहाड़ के अंदर की कहानियों को उजागर करती है. विक्रमादित्य मोटवाने द्वारा निर्देशित इस सीरीज़ की कहानी सुनील कुमार गुप्ता और सुनेत्रा चौधरी की किताब पर आधारित है.

Black Warrant Review (Photo Credits: Instagram)

Black Warrant Review: ‘ब्लैक वारंट’ एक ऐसी वेब सीरीज़ है, जो भारत की सबसे बड़ी जेल, तिहाड़ के अंदर की कहानियों को उजागर करती है. विक्रमादित्य मोटवाने द्वारा निर्देशित इस सीरीज़ की कहानी सुनील कुमार गुप्ता और सुनेत्रा चौधरी की किताब पर आधारित है. गुप्ता ने 1980 के दशक में तिहाड़ जेल में एक युवा जेलर के रूप में अपना सफर शुरू किया था, और उन्होंने जेल की अंदरूनी दुनिया को करीब से देखा. इस सीरीज को 7 एपिसोड में बनाया गया है जिसका प्रीमियर नेटफ्लिक्स पर हो रहा है.

यह सीरीज़ तिहाड़ जेल की क्रूर और हिंसक वास्तविकताओं को दिखाने का प्रयास करती है. हालांकि, इसमें काल्पनिकता का तड़का भी लगाया गया है ताकि कहानी को मनोरंजक और रोमांचक बनाया जा सके. जेल के अंदरूनी हालात, पावर स्ट्रक्चर और अपराधियों के गुटों की जटिलता को बारीकी से दिखाया गया है.

दमदार परफॉर्मेंस

जहान कपूर ने सुनील कुमार गुप्ता का किरदार निभाया है, जो एक दयालु और ईमानदार जेलर हैं. जहान ने अपने किरदार को ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ निभाया है. उनका व्यक्तित्व जेल की हिंसक और क्रूर दुनिया में उम्मीद की एक किरण जैसा प्रतीत होता है. डीएसपी राजेश तोमर के रूप में राहुल भट्ट ने एक दमदार परफॉर्मेंस दी है. उनका किरदार सख्त, लेकिन मानवीय भावनाओं से भरा हुआ है. चार्ल्स शोभराज के रूप में सिधांत गुप्ता का अभिनय बेहतरीन है. उन्होंने इस कुख्यात अपराधी के व्यक्तित्व को जीवंत कर दिया है. अन्य कलाकार जैसे परंवीर सिंह चीमा और अनुराग ठाकुर ने भी अपने किरदारों में जान डाल दी है.

देखें ब्लैक वारंट ट्रेलर:

तिहाड़ की सच्चाइयों का सामना

‘ब्लैक वारंट’ तिहाड़ जेल की सच्चाइयों को बारीकी से उजागर करती है. यह सीरीज़ जेल के अंदर के पावर स्ट्रक्चर, जातिगत और धार्मिक गुटबाजी, और अधिकारियों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को दिखाती है. हाई-प्रोफाइल अपराधियों जैसे ‘रंगा-बिल्ला’ और ‘चार्ल्स शोभराज’ की कहानियां इस सीरीज़ को और रोचक बनाती हैं, जेल के अंदर इस्तेमाल होने वाली शब्दावली को भी बखूबी दिखाया गया है. ‘ब्लैक वारंट’, ‘चमगादड़ बनना’, और ‘क्लास बी’ और ‘क्लास सी’ कैदियों के विशेषाधिकार जैसे पहलुओं को कहानी में शामिल किया गया है. जेल की गंदगी, क्रूरता और हिंसा को यथार्थ रूप में दिखाया गया है, लेकिन इसे संतुलित करने के लिए कुछ काल्पनिक तत्व भी जोड़े गए हैं.

निर्देशन और तकनीकी पक्ष

विक्रमादित्य मोटवाने का निर्देशन शानदार है. उन्होंने जेल के अंदर के माहौल को सजीव और वास्तविक दिखाने में सफलता हासिल की है. सीरीज़ का सेट डिज़ाइन, बैकग्राउंड म्यूजिक और सिनेमैटोग्राफी दर्शकों को जेल की काली दुनिया में ले जाते हैं. हालांकि, कुछ जगहों पर धीमी गति के सीन और अतिरिक्त नाटकीयता कहानी को थोड़ा खिंचावपूर्ण बना देते हैं.

खामियां

जहां ‘ब्लैक वारंट’ एक दिलचस्प सीरीज़ है, वहीं इसमें कुछ कमियां भी हैं।.सीरीज़ के कुछ हिस्से लंबे और अनावश्यक लगते हैं. महिलाओं के किरदारों को और गहराई से दिखाया जा सकता था. इसके अलावा, कहानी में कुछ सीन अनावश्यक रूप से खींचे हुए महसूस होते हैं.

निष्कर्ष

‘ब्लैक वारंट’ तिहाड़ जेल के जीवन को एक नए और गहराई से दिखाने की कोशिश करती है. यह सीरीज़ दर्शकों को जेल की क्रूरता, हिंसा और अधिकारियों के संघर्षों से परिचित कराती है. हालांकि, कुछ खामियों के बावजूद, यह सीरीज़ जेल ड्रामा के रूप में एक बेहतरीन प्रयास है.इस सीरीज को 5 में से 3 स्टार मिलते हैं.

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