नई दिल्ली, 3 जुलाई: कैडिला हेल्थकेयर समूह की कंपनी जायडस को कोविड-19 (Covid-19) के स्वदेशी रूप से विकसित संभावित टीके का मानव परीक्षण करने की घरेलू प्राधिकरणों से मंजूरी मिल गयी है. दवा बनाने वाली कंपनी ने शुक्रवार को कहा कि उसके द्वारा विकसित टीके जायकोव-डी (Zydus-D) का प्री-क्लीनिकल परीक्षण पूरा हो गया है. इसके बाद उसे केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के 'भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई)' से इसके मानव परीक्षण की मंजूरी मिल गयी है.
कंपनी ने कहा कि वह परीक्षण के लिये संभावित टीके की पर्याप्त मात्रा का उत्पादन पहले ही कर चुकी है. कंपनी जुलाई में ही नव परीक्षण शुरू करेगी. कंपनी की योजना देश के विभिन्न शहरों में एक हजार से अधिक लोगों के ऊपर इस टीके का परीक्षण करने की है. कैडिला हेल्थकेयर ने शेयर बाजार को बताया कि ‘जायकोव-डी’ को अहमदाबाद स्थित उसके टीका प्रौद्योगिकी केंद्र में विकसित किया गया है. चूहे, सूअर और खरगोश जैसे पशुओं पर किये गये परीक्षण में इस टीके को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिहाज से काफी मजबूत पाया गया है.
इस टीके ने जिन प्रतिरक्षक पदार्थों (Antibodies) का सृजन किया, वे ‘वाइल्ड टाइप वायरस’ को पूरी तरह से नियंत्रित कर पा रहे थे. यह इसे कोरोना वायरस के लिये संभावित टीकों का प्रबल दावेदार बनाता है. वायरस के उन स्वरूपों को ‘वाइल्ड टाइप वायरस’ कहा जाता है, जिनके डीएनए में म्यूटेशन के बाद बदलाव नहीं आया हो. कंपनी ने कहा कि इस टीके का ‘मांसपेशियों’ तथा ’नसों’ दोनों तरीकों से बार-बार प्रयोग करने के बाद भी सुरक्षा के लिहाज से कोई समस्या उत्पन्न नहीं हुई.
खरगोशों पर किये गये परीक्षण में इस टीके की उस मात्रा के तीन गुना को सुरक्षित पाया गया, जितनी मात्रा का इस्तेमाल मानव पर करने की योजना है. उल्लेखनीय है कि एक अन्य कंपनी भारत बायोटेक को हाल ही में उसके द्वारा विकसित संभावित टीके ‘कोवैक्सीन’ के क्लीनिकल परीक्षण की मंजूरी मिली थी. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भारत बायोटेक को पत्र लिखकर टीके का परीक्षण तेज करने के लिये कहा है.
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