Year 2023: भारत का ध्यान युद्ध क्षमता बढ़ाने के लिए नए हथियारों और साजो-सामान खरीदने पर रहा

भारत ने 2023 में पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के साथ-साथ दुनिया भर में संकट और संघर्ष के बीच सैन्य ताकत को बढ़ाने और किसी भी सुरक्षा चुनौती का दृढ़ता से मुकाबला करने के लिए देश की समग्र युद्ध क्षमता में वृद्धि के वास्ते करीब 3.50 लाख करोड़ रुपये की रक्षा खरीद की.

Israel-Hamas War | Photo: X

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर : भारत ने 2023 में पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के साथ-साथ दुनिया भर में संकट और संघर्ष के बीच सैन्य ताकत को बढ़ाने और किसी भी सुरक्षा चुनौती का दृढ़ता से मुकाबला करने के लिए देश की समग्र युद्ध क्षमता में वृद्धि के वास्ते करीब 3.50 लाख करोड़ रुपये की रक्षा खरीद की. भारत ने क्षेत्रीय प्रभुत्व बनने और दक्षिण एशिया में अपनी प्रधानता स्थापित करने की चीन की लगातार कोशिशों के मद्देनजर अपने पड़ोस और उससे आगे समान विचारधारा वाले देशों के साथ अपनी सैन्य भागीदारी का भी तेजी से विस्तार करने की कोशिश की. चीन से लगती लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की रक्षा करने वाली भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख की सीमा पर जारी तनाव चौथे साल में प्रवेश करने के बावजूद अपना आक्रमक रुख बनाए हुए है जबकि दोनों पक्षों ने इस गतिरोध को हल करने के लिए कई दौर की उच्च स्तरीय सैन्य और राजनयिक वार्ता की है. दुनिया के दो सबसे बड़े सैन्य बलों के बीच गतिरोध मुख्य रूप से डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में बना हुआ है, लेकिन दोनों पक्षों ने तनाव के कई अन्य बिंदुओं से अपनी-अपनी सेना को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है.

देश की सैन्य शक्ति को मजबूत करने की आवश्यकता को महसूस करते हुए रक्षा मंत्रालय ने 97 तेजस हल्के लड़ाकू विमानों, 156 प्रचंड लड़ाकू हेलीकाप्टर की खरीद और 84 सुखोई-30 लड़ाकू विमानों के उन्नयन सहित कई बड़ी अधिग्रहण परियोजनाओं को मंजूरी दी. रक्षा मंत्रालय ने एक साल के अंत की समीक्षा में कहा कि 2023 में, रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने अपनी बैठकों में सशस्त्र बलों की युद्ध तैयारियों को बढ़ाने के लिए कुल 3.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्तावों को मंजूरी दी. जून में, खरीद पर रक्षा मंत्रालय की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था डीएसी ने विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) मार्ग के माध्यम से अमेरिका से तीनों बलों के लिए 31 एमक्यू-9बी उच्च ऊंचाई वाले लंबे समय तक चलने वाले दूरस्थ पायलट विमान सिस्टम (आरपीएएस) के खरीद की मंजूरी दे दी. एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में, डीएसी ने अंतर-सरकारी समझौते के तहत फ्रांस के प्रमुख रक्षा कंपनी डसॉल्ट एविएशन से भारतीय नौसेना के लिए संबंधित उपकरण, हथियार, सिम्युलेटर और पुर्जों के साथ 26 राफेल विमान की खरीद की मंजूरी दे दी. भारतीय वायुसेना को पहला सी-295 मध्यम सामरिक परिवहन विमान स्पेन के दक्षिणी शहर सेविले में सौंपे जाने के कुछ ही दिन बाद इसे औपचारिक रूप से बल में शामिल किया गया. भारत द्वारा अपने पुराने एवरो-748 बेड़े को बदलने के लिए 21,935 करोड़ रुपये में 56 सी295 परिवहन विमानों को खरीदने का समझौता एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ करने के दो साल बाद यह पहला विमान मिला. यह भी पढ़ें : तुमकुरु सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार: भाजपा नेता सोमन्ना

समझौते के तहत, एयरबस 2025 तक सेविले में अपनी अंतिम असेंबली लाइन से 'उड़ान भरने' की स्थिति में पहले 16 विमान की आपूर्ति करेगा और बाद के 40 विमानों का विनिर्माण और संयोजन भारत में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (टीएएसएल) द्वारा किया जाएगा. दोनों कंपनियों के बीच औद्योगिक साझेदारी का करार किया गया है. रक्षा मंत्रालय ने वर्ष में भारत को रक्षा विनिर्माण का केंद्र बनाने पर भी अपना ध्यान केंद्रित रखा. जून में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान, अमेरिकी रक्षा कंपनी जीई एयरोस्पेस ने भारत में एफ-414 लड़ाकू जेट इंजन का उत्पादन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ मिलकर करने का एक समझौता किया. करार के प्रावधानों के अनुसार, तेजस हल्के लड़ाकू विमान एमके2 में इस्तेमाल के लिए जीई एयरोस्पेस एफ414 इंजन का भारत में सह-उत्पादन करेगा. इस समझौते को भारत-अमेरिका वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और विस्तारित करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम के रूप में देखा गया.

दोनों देशों के बीच बढ़ते सैन्य संबंधों को प्रतिबिंबित करते हुए अमेरिकी वायु सेना के दो बी-1बी लांसर सुपरसोनिक हेवी बमवर्षक जेट फरवरी में येलहंका हवाई अड्डे पर एयरो इंडिया में शामिल हुए. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि बमवर्षक अमेरिकी वायु सेना में निर्देशित और अनिर्देशित दोनों हथियारों का सबसे बड़ा पारंपरिक पेलोड रखता है और इसे अमेरिका की लंबी दूरी पर जाकर बम बरसाने की क्षमता का रीढ़ माना जाता है. भारत और फ्रांस के बीच रक्षा और रणनीतिक संबंधों में भी 2023 में बड़ा उछाल देखा गया.

दोनों पक्षों ने जुलाई में लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर इंजन के संयुक्त विकास और भारतीय नौसेना के लिए तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण सहित कई महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग परियोजनाओं की घोषणा की. सरकार ने घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने की अपनी नीति पर भी काम किया. 2022-23 में रक्षा उत्पादन का मूल्य पहली बार एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया.

नवंबर में, प्रधान मंत्री मोदी ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा डिजाइन, विकसित और निर्मित 'तेजस' दो सीट वाले हल्के लड़ाकू विमान में उड़ान भरी. मोदी के समक्ष 30 मिनट की उड़ान के दौरान तेजस की क्षमताओं को प्रदर्शित किया गया.यह पहली बार था जब किसी भारतीय प्रधान मंत्री ने इस लड़ाकू विमान में उड़ान भरी. सरकार की नीतिगत प्राथमिकताओं के अनुरूप, सेना के तीनों अंगों ने आम चुनौतियों का सामना करने में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए पिछले एक साल में कई मित्र देशों के साथ कई सैन्य अभ्यास किए. वर्ष के अंत में, भारतीय नौसेना ने वाणिज्यिक जहाजों पर हमलों की घटनाओं के मद्देनजर अरब सागर में समुद्री सुरक्षा अभियान शुरू किया. भारत ने 2023 में सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास को भी प्राथमिकता दी और इस वर्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की 118 परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की. सितंबर में, उन्होंने 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली 2,900 करोड़ रुपये से अधिक की 90 बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू कीं.

फरवरी में, रक्षा बजट को पिछले साल के 5.25 लाख करोड़ रुपये के आवंटन से 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 2023-24 के लिए 5.94 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था. इस वर्ष महिला सशस्त्र बल कर्मियों ने कई मोर्चों पर पुरानी रीत तोड़ती नजर आईं. कैप्टन शिवा चौहान जनवरी में सियाचिन ग्लेशियर स्थित कुमार पोस्ट पर ड्यूटी के लिए तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं. सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है. एक अन्य उपलब्धि में लेफ्टिनेंट कमांडर प्रेरणा देओस्थली को भारतीय नौसेना युद्धपोत की कमान संभालने वाली पहली महिला अधिकारी के रूप में नामित किया गया. तोपखाना रेजिमेंट में महिला अधिकारियों को शामिल करने का कार्य प्रगति पर है. 2023 के दौरान दस 10 महिला अधिकारियों को तोपखाना रेजिमेंट में नियुक्त किया गया था. भारतीय वायु सेना ने पश्चिमी क्षेत्र में अग्रिम लड़ाकू इकाई की कमान संभालने के लिए ग्रुप कैप्टन शालिजा धामी को तैनात किया. वह वायुसेना की किसी भी लड़ाकू इकाई की कमान संभालने वाली पहली महिला हैं.

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