बेचने के लिए बच्चे पैदा करने के आरोप में महिलाओं को सजा
कंबोडिया में 13 गर्भवती महिलाओं को जेल की सजा सुनाई गई है.
कंबोडिया में 13 गर्भवती महिलाओं को जेल की सजा सुनाई गई है. उन पर आरोप था कि वह तस्करी के जरिए बेचने के लिए बच्चे पैदा करने की योजना का हिस्सा थीं.कंबोडिया की एक अदालत ने 13 फिलिपीनी महिलाओं को चार साल की जेल की सजा सुनाई है. इन महिलाओं पर आरोप है कि उन्होंने पैसों के लिए किराये की मां बनकर नवजात बच्चों को विदेशियों को बेचने के लिए एक योजना में हिसा लिया. यह मामला कंबोडिया में मानव तस्करी और सरोगेसी के अवैध धंधे को लेकर नई बहस छेड़ रहा है.
कंदाल प्रांतीय अदालत ने महिलाओं को "मानव तस्करी और शोषण" से जुड़े अपराधों में दोषी पाया. चार साल की सजा में से दो साल की सजा को निलंबित कर दिया गया है. इसका मतलब है कि अगर महिलाएं भविष्य में किसी और अपराध में दोषी नहीं पाई जातीं, तो उन्हें जेल में दो साल बिताने की आवश्यकता नहीं होगी.
फिलहाल, ये महिलाएं राजधानी फ्नोम पेन के पास एक पुलिस अस्पताल में हैं. अदालत ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि इन महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चों का भविष्य क्या होगा. कोर्ट प्रवक्ता सो सारिन ने कहा कि महिलाएं इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकती हैं.
कंबोडिया में सरोगेसी का धंधा
कंबोडिया में सरोगेसी 2016 से अवैध है. इससे पहले, यह देश अंतरराष्ट्रीय जोड़ों के लिए सरोगेसी का प्रमुख गंतव्य था, खासतौर पर उन जोड़ों के लिए जो अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसी जगहों पर सरोगेसी की ऊंची लागत नहीं उठा सकते थे.
पड़ोसी थाईलैंड, भारत और नेपाल में सख्त नियम लागू होने के बाद कंबोडिया में सरोगेसी का धंधा तेजी से बढ़ा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के जोड़े ऐसे मामलों में 40,000 से 1,00,000 अमेरिकी डॉलर तक का भुगतान करते हैं.
इस मामले में, महिलाओं को फिलीपींस से लाया गया और कंबोडिया में एक घर में रखा गया. अधिकारियों का कहना है कि यह एक संगठित नेटवर्क का हिस्सा था, जो महिलाओं को सरोगेसी के लिए तैयार करता है.
कंबोडिया के अधिकारियों का कहना है कि इन महिलाओं ने जानबूझकर इस योजना में भाग लिया और इसलिए वे अपराधी हैं. कंबोडिया की राष्ट्रीय मानव तस्करी रोधी समिति की उपाध्यक्ष चू बुन एंग ने कहा, "हम इन्हें पीड़ित के रूप में नहीं देखते. ये महिलाएं जानबूझकर सरोगेट बनीं और पैसों के लिए अपने बच्चों को बेचने का इरादा रखती थीं.”
हालांकि, फिलीपींस के न्याय मंत्रालय के तहत सचिव निकोलस फेलिक्स टाय का कहना है कि ये महिलाएं मानव तस्करी का शिकार हुईं. उन्होंने कहा, "उन्हें लालच और झूठे वादों के तहत इस जाल में फंसाया गया. यह स्पष्ट रूप से तस्करी का मामला है.”
पुराने मामले और कड़वी सच्चाई
कंबोडिया हाल के सालों में मानव तस्करी का बड़ा केंद्र बनकर उभरा है. हाल ही में वहां नौकरी का झांसा देकर लोगों को फंसाकर उनसे साइबर स्कैम कराए जाने की घटनाएं सामने आई हैं. इस मामले में हजारों भारतीयों के फंसे होने की संभावना है. कंबोडिया में सरोगेसी और मानव तस्करी से जुड़े कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं. 2017 में, एक ऑस्ट्रेलियाई नर्स को 18 महीने की जेल हुई थी. उस पर कंबोडिया में एक सरोगेसी क्लीनिक चलाने का आरोप था.
उसी साल, 32 सरोगेट मांओं को गिरफ्तार किया गया था. इन महिलाओं को इस शर्त पर रिहा किया गया था कि वे जिन बच्चों को जन्म देंगी, उन्हें खुद पालेंगी.
एक महिला, हुन डानेथ ने मीडिया को बताया था कि उन्होंने 2017 में 9,000 डॉलर की पेशकश के बाद सरोगेट बनने का फैसला किया. लेकिन जब वह गर्भवती थीं, तब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. डानेथ ने बताया, "मुझे या तो 20 साल जेल में रहना था या उस बच्चे को पालना था, जिसे मैंने किसी और के लिए पैदा किया था.”
मानव तस्करी का वैश्विक संकट
यह मामला केवल कंबोडिया तक सीमित नहीं है. दुनियाभर में सरोगेसी और मानव तस्करी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. गरीब देशों में महिलाएं आर्थिक तंगी और शोषण का शिकार होती हैं.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में 2.5 करोड़ लोग मानव तस्करी के शिकार हैं. इनमें 70 फीसदी महिलाएं और बच्चे शामिल हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि कंबोडिया जैसे देशों में कमजोर कानून और गरीबी के कारण इस प्रकार के शोषण का खतरा और बढ़ जाता है. यह जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस समस्या को हल करने के लिए ठोस कदम उठाए.
यह मामला दिखाता है कि सरोगेसी का धंधा केवल आर्थिक लेन-देन नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी मानवीय त्रासदी छिपी है. कंबोडिया में इन 13 महिलाओं का भविष्य, उनके बच्चों का भाग्य और मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई, यह सब इस मामले पर आने वाले फैसलों से जुड़ा हुआ है.
वीके/एए (एपी, एएफपी)